क्या देशभर के डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी?

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क्या देशभर के डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने साइबर अपराध के तहत डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने पर विचार किया है। पेशेवरों का मानना है कि एक केंद्रीकृत जांच प्रणाली से डिजिटल अपराधों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच सौंपने का संकेत दिया है।
  • एक केंद्रीकृत जांच प्रणाली से पारदर्शिता और तेजी आएगी।
  • राज्य सरकारों को अपनी रिपोर्ट तैयार करनी होगी।
  • डिजिटल अपराधों पर काबू पाने के लिए तकनीकी सहायता जरूरी है।
  • सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने साइबर अपराध से जुड़े डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के संकेत दिए हैं। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह समस्या पूरे देश में फैली हुई है, इसलिए एक ही एजेंसी को सभी मामलों की जांच करनी चाहिए।

कोर्ट ने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए सभी राज्य सरकारों से जवाब मांगा कि क्या देशभर के डिजिटल अरेस्ट मामलों को सीबीआई को सौंपा जा सकता है। अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों में एक समान जांच जरूरी है, ताकि अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई हो सके। कोर्ट ने सीबीआई से सवाल किया कि क्या उसके पास इन मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त तकनीकी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचा और संसाधन उपलब्ध हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। मेहता को अगली सुनवाई तक पूरी जानकारी पेश करने के लिए कहा गया है।

कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि सीबीआई को राज्य पुलिस और इंटरपोल जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करना पड़ सकता है। इसके लिए सूचना और खुफिया जानकारी साझा करना जरूरी होगा, ताकि डिजिटल अपराधों की जड़ तक पहुंचा जा सके। डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग फर्जी कॉल और मैसेज के जरिए लोगों को धमकाते हैं और पैसे ऐंठते हैं, जो अब राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर समस्या बन गया है।

इस सुनवाई से यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट डिजिटल अपराधों पर सख्त रुख अपनाना चाहता है। कोर्ट ने कहा कि एक केंद्रीकृत जांच से इन मामलों में तेजी और पारदर्शिता आएगी। राज्य सरकारों को अब अपनी रिपोर्ट तैयार करनी होगी, जिसमें वे बताएंगी कि क्या सीबीआई को सारा बोझ सौंपना व्यावहारिक होगा।

वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सीबीआई को यह जिम्मेदारी मिलती है, तो साइबर अपराधों पर काबू पाना आसान हो सकता है, बशर्ते उसे तकनीकी सहायता और संसाधन मिलें।

Point of View

यह स्पष्ट है कि डिजिटल अपराध अब एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। हमें एक संगठित और केंद्रीकृत जांच प्रणाली की आवश्यकता है, जो न केवल पारदर्शिता लाए, बल्कि अपराधियों को सजा भी दिलाए।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

डिजिटल अरेस्ट के मामले क्या हैं?
डिजिटल अरेस्ट के मामले वे होते हैं जहां साइबर ठग फर्जी कॉल और मैसेज के जरिए लोगों को ठगते हैं।
सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपने का क्या लाभ है?
सीबीआई को जिम्मा सौंपने से एक संगठित और समान जांच प्रणाली स्थापित होगी, जिससे मामलों में तेजी आएगी।
अगली सुनवाई कब है?
अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
क्या राज्य सरकारों को भी रिपोर्ट देनी होगी?
हाँ, राज्य सरकारों को यह रिपोर्ट देनी होगी कि क्या सीबीआई को सभी मामलों का बोझ सौंपना व्यावहारिक है।
क्या सीबीआई के पास तकनीकी विशेषज्ञता है?
कोर्ट ने सीबीआई से इस बारे में जानकारी मांगी है कि क्या उसके पास पर्याप्त तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधन हैं।