क्या दिल्ली हाईकोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने वाली याचिका खारिज की?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली हाईकोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका को खारिज किया।
- ईवीएम के उपयोग पर पहले ही कई न्यायालयों में विचार हो चुका है।
- चुनाव आयोग ने पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं।
नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के स्थान पर बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाई कोर्ट में विचार किया जा चुका है।
यह याचिका उपेंद्र नाथ दलाई द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि देश में सभी चुनाव केवल बैलेट पेपर के माध्यम से कराए जाएं, न कि ईवीएम के जरिए।
याचिका में कहा गया था कि ईवीएम पर जनता का विश्वास कम हो गया है और इससे निष्पक्ष चुनाव पर सवाल उठते हैं। दलाई ने अदालत से अनुरोध किया था कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि भविष्य में केवल बैलेट पेपर से वोटिंग कराई जाए।
हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस याचिका को स्वीकार करने का कोई आधार नहीं है।
अदालत ने कहा, "उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए हम इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानते। इसे खारिज किया जाता है।"
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर चुका है और दिल्ली हाईकोर्ट ने भी पहले एक अन्य याचिका को खारिज किया है। ऐसे में इस मुद्दे को दोबारा उठाने का कोई औचित्य नहीं है।
अदालत ने कहा कि ईवीएम के उपयोग को लेकर चुनाव आयोग ने समय-समय पर पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर आवश्यक कदम उठाए हैं। साथ ही, वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों के जरिए वोटिंग प्रक्रिया को और अधिक विश्वसनीय बनाया गया है।
गौरतलब है कि चुनावों में ईवीएम के उपयोग को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब तक कोर्ट ने सभी को खारिज किया है।
चुनाव आयोग का हमेशा यही कहना रहा है कि ईवीएम एक भरोसेमंद और पारदर्शी व्यवस्था है, जिससे चुनाव प्रक्रिया तेज, निष्पक्ष और निष्कलंक बनती है।