क्या दीपावली पर मां जानकी मंदिर सिर्फ विवाह का स्थल है, या संतान प्राप्ति का भी?

सारांश
Key Takeaways
- जानकी मंदिर राम भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है।
- मंदिर का निर्माण 1895 से 1911 तक चला।
- मंदिर का नाम मां सीता के नाम पर रखा गया।
- दीपावली पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है।
- यह मंदिर संतान प्राप्ति के लिए भी प्रसिद्ध है।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देशभर में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। सभी मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है।
नेपाल के जनकपुर स्थित जानकी मंदिर भी भव्य सजावट में लिपटा हुआ है। यह मंदिर राम भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वही स्थान है जहां भगवान राम और मां सीता का विवाह हुआ था।
मां सीता का जन्म भी इसी स्थान पर हुआ था। जनकपुर का यह जानकी मंदिर विशेष है, क्योंकि इसकी वास्तुकला में नेपाल और बिहार की मिथिला संस्कृति का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
मंदिर के संबंध में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि मां सीता के नाम पर ही इस शहर का नाम जनकपुर पड़ा है। मां सीता का असली नाम जानकी था। इसी नाम पर इस शहर का नामकरण हुआ।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1895 में टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुमारी के प्रस्ताव पर शुरू हुआ था। मंदिर का निर्माण कार्य 1895 से लेकर 1911 तक चला और इसका कुल खर्च लगभग 9 लाख रुपए आया। इसीलिए इसे नौलखा मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 4,860 वर्ग फीट है। इसके पीछे एक किंवदंती है, जिसमें कहा गया है कि पहले यहाँ घना जंगल था और वहीं शुरकिशोर दास तपस्या कर रहे थे। उन्हें वहां मां सीता की मूर्ति मिली और उसके बाद मंदिर की स्थापना हुई।
इतना ही नहीं, महारानी वृषभानु भी इस मंदिर में दर्शन के लिए आई थीं। उनकी कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने जानकी मां से संतान की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने मन की बात कही कि यदि उनकी इच्छा पूरी होती है, तो वे मंदिर का भव्य निर्माण करेंगी। और ऐसा ही हुआ। संतान प्राप्ति के बाद महारानी ने मंदिर का खूबसूरत निर्माण कराया। इस घटना के बाद से मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ गई और संतानहीन दंपति यहाँ आने लगे।
दीपावली के अवसर पर मां सीता के मंदिर में रौनक बढ़ जाती है। इस दिन भक्तों की भारी भीड़ लग जाती है और पूरे दिन कीर्तन और अनुष्ठान चलते रहते हैं।