क्या महालक्ष्मी त्रिदेवियों के साथ दीपावली पर दर्शन देती हैं?

सारांश
Key Takeaways
- दीपावली पर मां लक्ष्मी का विशेष महत्व है।
- महालक्ष्मी मंदिर में त्रिदेवी के दर्शन होते हैं।
- यह मंदिर भाग्य परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।
- भक्तों का मानना है कि यहां मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं।
- दीपावली पर मंदिर का दृश्य अद्भुत होता है।
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। साल का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली नजदीक है और भक्तों ने मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियाँ प्रारंभ कर दी हैं।
इस विशेष अवसर पर, मां लक्ष्मी के मंदिर में दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि उन्हें धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। क्या आप जानते हैं कि मुंबई में एक प्रसिद्ध महालक्ष्मी का मंदिर है, जहां मां त्रिदेवी के साथ दर्शन देती हैं? यह मंदिर लोगों के भाग्य को बदलने के लिए जाना जाता है।
दक्षिण मुंबई के समुद्र तट पर, भूलाभाई देसाई मार्ग पर स्थित मां महालक्ष्मी का मंदिर अपनी मान्यताओं के लिए मशहूर है। कहा जाता है कि यहाँ मांगी गई मुरादें हमेशा पूरी होती हैं और मां भाग्य का लिखा भी पलट सकती हैं। दीपावली के दिन मंदिर का दृश्य अद्भुत होता है।
विशेष रूप से दीपावली के अवसर पर भक्त त्रिदेवी के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं। 1831 में स्थापित इस मंदिर के बारे में कई लोक-कथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इसे धकजी दादाजी नामक व्यक्ति ने बनवाया था, जिन्हें मां ने सपने में दर्शन दिए थे। आक्रमणकारियों के हमले के दौरान, देवी महाकाली, देवी महासरस्वती और देवी महालक्ष्मी की प्रतिमा को वर्ली खाड़ी में विसर्जित कर दिया गया था। फिर, धकजी दादाजी को मां ने सपने में दर्शन दिए और अपने स्थान के बारे में बताया। इसके बाद, नदी के किनारे तीनों देवी की प्रतिमाओं को पुनर्स्थापित किया गया।
एक और किंवदंती के अनुसार, मुंबई में वर्ली और मालाबार हिल को जोड़ने के लिए एक पुल का निर्माण होना था, लेकिन कुछ कारणों से यह काम अधूरा रह गया। निराश होकर, पुल का निर्माण रोक दिया गया, लेकिन एक कारीगर को मां लक्ष्मी ने दर्शन दिए और बताया कि समुद्र किनारे उनकी प्रतिमा है, पहले उसकी स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद सभी ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया और पुल का काम पूरा हुआ।
प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर का गर्भगृह अत्यंत सुंदर है, जहाँ मां लक्ष्मी, मां काली और मां सरस्वती एक साथ भक्तों को दर्शन देती हैं। मां की प्रतिमा हमेशा सोने और चांदी के आभूषणों से सुशोभित रहती है। दीपावली के दिन, भाग्य की देवियों के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करके लौटते हैं।