क्या शिवकुमार ने भाजपा को किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को निशाना बनाने की सलाह दी?
सारांश
Key Takeaways
- किसानों के मुद्दों पर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना।
- भाजपा को केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन करने की सलाह।
- महादयी और मेकेदाटू परियोजनाओं की महत्वता।
- किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सवाल।
- उत्तर कर्नाटक में विकासात्मक निवेश की आवश्यकता।
बेलगावी, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक में किसानों से जुड़े मुद्दों पर भाजपा द्वारा आयोजित व्यापक प्रदर्शन की योजना पर उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन राज्य सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ होना चाहिए।
डीके शिवकुमार ने आरोप लगाया कि केंद्र की नीतियों के चलते किसान मक्का, गन्ना और एथेनॉल के मामले में गंभीर संकट में हैं, और कई बकाया अनुदान भी जो कर्नाटक को मिलने थे, अभी तक जारी नहीं किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि महादयी परियोजना किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन केंद्र ने इसके मुद्दे का समाधान नहीं किया।
शिवकुमार ने कहा, “मेकेदाटू परियोजना में हमें न्याय मिला, लेकिन भाजपा नेता दावा करते हैं कि वे सब मंजूरी एक दिन में दिला देंगे, फिर भी अब तक कुछ नहीं हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 5,400 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन एक रुपया भी जारी नहीं किया गया।”
उन्होंने भाजपा नेताओं पर “जिम्मेदारी से भागने” और संवेदनशील मुद्दों पर “चुप्पी साधने” का आरोप लगाया। डिप्टी सीएम ने कहा, “भाजपा नेताओं को ज़रा भी शर्म नहीं है। एक भी भाजपा सांसद इन मुद्दों पर आवाज़ नहीं उठा रहा।”
बेलगावी एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बात करते हुए शिवकुमार ने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में किसानों के मुद्दे, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और केंद्र द्वारा बकाया राशि जारी करने की मांग जैसे विषय प्रमुख रहेंगे।
उन्होंने सवाल उठाया, “केंद्र किसानों की समस्याओं में दखल क्यों नहीं दे रहा? एमएसपी की राशि क्यों नहीं दी जा रही? केंद्र फसलों की ख़रीद क्यों नहीं कर रहा? गन्ने का भाव बढ़ाए बिना चीनी की कीमतें 10 साल से क्यों रोक रखी हैं?”
शिवकुमार ने कहा कि उत्तर कर्नाटक के लिए भी तुरंत विकासात्मक निवेश की आवश्यकता है और राज्य सरकार केंद्र से फंड जारी करने का फिर से अनुरोध करेगी।
भाजपा द्वारा किसानों के साथ मिलकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पर उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में किसानों के हित में ऐसा कोई साहसिक फैसला कभी नहीं लिया। हमने मक्का खरीदने का निर्णय किया है और गन्ना किसानों के साथ खड़े हैं। शुगर फैक्टरी मालिक नुकसान की बात कर रहे हैं, लेकिन फसल का दाम तो केंद्र ही तय करता है। फिर केंद्र सरकार मदद क्यों नहीं कर रही?”
उन्होंने कहा कि यदि फैक्ट्रियों को घाटा भी हो, तब भी किसानों को बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता है। लड़ाई केंद्र सरकार के खिलाफ होनी चाहिए। भाजपा के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा, इसलिए वे ऐसे बयान दे रही हैं।