क्या डीएमके सरकार महाभियोग को न्यायपालिका को डराने का राजनीतिक औजार बना रही है?
सारांश
Key Takeaways
- महाभियोग का राजनीतिक दुरुपयोग
- संविधान की रक्षा का नारा
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- राजनीतिक दलों का दबाव
- लोकतंत्र की बुनियाद
चेन्नई, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु भाजपा के पूर्व अध्यक्ष के अन्नामलाई ने मंगलवार को डीएमके सरकार और विपक्षी इंडिया गठबंधन पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये संविधान के अस्तित्व पर प्रश्न उठा रहे हैं और महाभियोग की प्रक्रिया का राजनीतिक दुरुपयोग कर न्यायपालिका को डराने का प्रयास कर रहे हैं।
अन्नामलाई ने कहा कि संविधान की रक्षा करने का दावा करने वाला इंडिया गठबंधन वास्तव में केवल खोखले भाषण दे रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि डीएमके और इंडिया गठबंधन न्यायाधीशों और न्याय व्यवस्था पर दबाव बनाने के लिए महाभियोग और अयोग्यता जैसी प्रक्रियाओं का हथियार के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने हाल ही में जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के आदेश को लेकर चल रहे विवाद का उल्लेख करते हुए प्रश्न उठाया कि जब तमिलनाडु सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर चुकी है, तब महाभियोग का नोटिस लाने की आवश्यकता क्या है?
उन्होंने कहा, “जब राज्य सरकार स्वयं सुप्रीम कोर्ट में राहत मांग चुकी है, तो महाभियोग नोटिस का क्या अर्थ है? क्या यह न्यायपालिका को डराने का प्रयास नहीं है?”
अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि डीएमके और इंडिया गठबंधन की राजनीति संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के नाम पर केवल अल्पसंख्यक तुष्टिकरण पर आधारित है।
उन्होंने कहा, “संविधानिक अधिकारों की रक्षा का उनका शोर महज़ नाटक है। असल में वे संविधान की जड़ों पर प्रहार कर रहे हैं।”
भाजपा नेता ने यह भी प्रश्न उठाया कि क्या विपक्ष जनता को यह संदेश देना चाहता है कि यदि कोई फैसला उन्हें पसंद नहीं आएगा तो न्यायाधीशों को महाभियोग की धमकी दी जाएगी?
उन्होंने कहा, “क्या हर उस फैसले के बाद, जो इंडिया गठबंधन के हितों में न हो, महाभियोग की तलवार लटकाकर न्यायाधीशों को नीचे दिखाने की कोशिश की जाएगी?”
अन्नामलाई ने ऐसी प्रवृत्ति को लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र संस्थाएं लोकतंत्र की रीढ़ हैं और यदि राजनीतिक दल न्यायपालिका को बाधा समझकर उस पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे, तो यह राष्ट्र के लिए गंभीर खतरा होगा।
तिरुप्परंकुंद्रम हिल फैसले के विवाद पर भाजपा लगातार न्यायपालिका का बचाव कर रही है, जबकि डीएमके और इंडिया गठबंधन न्यायमूर्ति के खिलाफ महाभियोग के कदम को लेकर विपक्षी दलों की तीखी आलोचना का सामना कर रहे हैं।
बता दें कि जिस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हुआ, उसमें न्यायाधीश ने भक्तों के सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों को बरकरार रखा था।