क्या दुर्गापुर गैंगरेप कांड में ममता बनर्जी ने झूठ बोला?

सारांश
Key Takeaways
- दुर्गापुर में गैंगरेप का मामला गंभीर है।
- राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
- सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन पर है।
- पारदर्शी जांच की मांग की जा रही है।
- समाज में सुरक्षा का मुद्दा महत्वपूर्ण है।
कोलकाता, १३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के दुर्गापुर में एक निजी मेडिकल कॉलेज की द्वितीय वर्ष की छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। इस संदर्भ में भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने पीड़िता के बाहर निकलने के समय के संबंध में झूठ बोला है।
मालवीय के आधिकारिक 'एक्स' पोस्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि पीड़िता रात के १२:३० बजे बाहर गई थी, जबकि अस्पताल के दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ है कि वह समय रात के ८ बजे था। आईक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के रिकॉर्ड के अनुसार, छात्रा ने शाम ८ बजे परिसर छोड़ा था, जो कि 'किसी भी मानक' के अनुसार एक उचित समय है। उन्होंने कहा कि इस तरह की झूठी जानकारी जनता को गुमराह करने का प्रयास है।
मालवीय ने आगे कहा कि यह घटना कॉलेज के परिसर के अंदर नहीं हुई। पीड़िता, जो कि दलित समुदाय से संबंध रखती है, के साथ हुई यह हिंसा परिसर के बाहर हुई। इसलिए अब सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और राज्य प्रशासन की है।
मालवीय ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेज को दोष देने की कोशिश की, ताकि राज्य सरकार की जवाबदेही से ध्यान भटकाया जा सके, क्योंकि घटनास्थल के पास जंगल जैसा इलाके में रोशनी की कमी है। स्थानीय लोगों ने वर्षों से इस क्षेत्र में सुरक्षा की समस्याओं से सरकार और पुलिस प्रशासन को अवगत कराया है।
उन्होंने कहा कि यदि यह क्षेत्र रात के समय उचित रोशनी और पेट्रोलिंग के दायरे में होता, तो शायद इस तरह की त्रासदी नहीं होती।
अमित मालवीय ने यह भी कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं होगी यदि मुख्यमंत्री उस क्षेत्र के मुस्लिम नेताओं से बात करके जांच में हस्तक्षेप करें और आरोपियों को मुक्त कराने की कोशिश करें। इसके बदले में, वह उनसे आगामी चुनाव में मदद चाहेंगी। मालवीय ने पिछले मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की घटना में भी मुख्यमंत्री ने प्रयास किया था कि पीड़ित के परिवार को चुप कराया जाए।
इस मामले की निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र जांच की मांग जोर पकड़ रही है।