क्या ईडी ने सलई ग्रुप पर बड़ी कार्रवाई की? इंफाल में 5 स्थानों पर छापेमारी, 10 करोड़ के दस्तावेज और 3 कारें जब्त?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने सलई ग्रुप पर कार्रवाई की।
- इंफाल में 5 स्थानों पर छापेमारी हुई।
- 10 करोड़ रुपये के दस्तावेज जब्त किए गए।
- तीन कारें भी जब्त की गईं।
- आरोपितों ने अवैध रूप से नगद जमा स्वीकार की।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मणिपुर की राजधानी इंफाल में सलई ग्रुप से जुड़े कथित वित्तीय अपराधों और अवैध गतिविधियों पर कड़ा शिकंजा कसते हुए पांच विभिन्न स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई सलई समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों के आवासीय परिसरों पर की गई। तलाशी के दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 30 सीआरपीएफ जवानों की तैनाती की गई, जिससे अभियान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सका।
तलाशी के परिणामस्वरूप तीन कारें जब्त की गईं। इसके अतिरिक्त लगभग 10 करोड़ रुपये के संपत्ति दस्तावेजों सहित कई आपत्तिजनक कागजात बरामद हुए। जांच में उपयोगी सामग्री और डेटा वाले पांच मोबाइल फोन भी कब्जे में लिए गए, जिनमें सलई ग्रुप की संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों से जुड़े साक्ष्य मिलने का दावा किया गया है।
ईडी ने प्रेस नोट में बताया कि तलाशी के दौरान आरोपित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें स्वीकार किया गया कि बिना किसी वैध अधिकार के उन्होंने जनता से नगद जमा स्वीकार किए, जिन्हें उनके निजी बैंक खातों और सलई ग्रुप की कंपनियों के खातों में जमा किया गया। जांच के मुताबिक, इसी गैरकानूनी रकम का उपयोग चल-अचल संपत्तियों की खरीद, कार लोन चुकाने, व्यक्तिगत खर्चों और अन्य उद्देश्यों में किया गया। ईडी की यह कार्रवाई उस प्राथमिकी पर आधारित है, जो मणिपुर पुलिस ने इंफाल पश्चिम जिले के लंपेल थाने में दर्ज की थी। एफआईआर में याम्बेम बिरेन और नरेंगबम समरजीत के खिलाफ देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने, राजद्रोह, सामाजिक वैमनस्य और अलगाववाद भड़काने जैसे गंभीर आरोप दर्ज किए गए थे। दोनों ने भारत से मणिपुर की कथित आजादी की घोषणा करने का प्रयास किया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर आरोपपत्र में एन समरजीत सिंह, वाई. बिरेन और अन्य पर आईपीसी की धारा 120-बी, 420 एवं गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 और 17 के तहत मुकदमे चल रहे हैं। आरोपपत्र में खुलासा हुआ कि सलई ग्रुप और उसकी संबद्ध स्मार्ट सोसाइटी के माध्यम से जनता से 36 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न देने का लालच दिखाकर धन एकत्र किया गया, जो पूर्णतः गैरकानूनी था। यह रकम 19 कंपनियों के जरिए घुमाई गई और फिर इसका इस्तेमाल अलगाववादी गतिविधियों सहित अवैध कार्यों में किया गया।
सीबीआई ने भी 15 मार्च 2023 को एफआईआर दर्ज की, जिसमें सलई ग्रुप और उसके निदेशकों पर अवैध पोंजी योजना चलाने का आरोप लगाया गया। जांच में सामने आया कि स्मार्ट सोसाइटी के नाम पर भारी नगद राशि जमा कराई गई और 46.43 करोड़ रुपये विभिन्न बैंक खातों में जमा किए गए।
ईडी ने कहा कि पीएणएलए की जांच में ईडी ने पाया कि आरोपितों ने किसी भी सक्षम प्राधिकरण से अनुमति लिए बिना आम जनता से 57.36 करोड़ रुपये नगद जमा किए और प्रति माह 3 प्रतिशत ब्याज का लालच देकर गैरकानूनी आर्थिक गतिविधि चलाई। यह रकम आरोपित व्यक्तियों और ग्रुप की कंपनियों के खातों में जमा की गई और बाद में इन्हें संपत्तियों, होम लोन, वाहन लोन, टर्म लोन, व्यक्तिगत खर्च और कथित देश-विरोधी गतिविधियों में लगाया गया। अब तक 2.42 करोड़ रुपये की संपत्ति को अपराध की आय मानकर कुर्क किया जा चुका है और इसे अधिनिर्णायक प्राधिकरण ने पुष्टि भी कर दी है। इसी मामले में 29 अप्रैल 2024 को विशेष पीएणएलए अदालत, इंफाल पूर्व में अभियोजन शिकायत दायर की जा चुकी है।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि अपराध की आय का उपयोग मशीनरी और संयंत्र खरीदने, लगभग 17.5 करोड़ रुपये की विदेशी रेमिटेंस भेजने, 2.5 करोड़ की क्रेडिट कार्ड पेमेंट करने और एचडीएफसी बैंक, इंफाल शाखा से लिए गए 3.14 करोड़ रुपये के वाहन ऋण चुकाने में किया गया।
ईडी की ओर से जारी प्रेस नोट में आगे कहा गया कि इस मामले की जांच अभी जारी है।