क्या इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट ने बढ़ाई टेंशन? भारत से चीन की ओर निकला राख का गुबार

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क्या इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट ने बढ़ाई टेंशन? भारत से चीन की ओर निकला राख का गुबार

सारांश

इथियोपिया का हेली गुब्बी ज्वालामुखी 10-12 हजार साल के बाद फिर से फटा है। इससे निकली राख भारत से होते हुए चीन की ओर बढ़ रही है। इसका असर भारतीय उड़ानों पर भी पड़ा है। जानिए इस ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव और संभावित खतरों के बारे में।

Key Takeaways

  • हेली गुब्बी ज्वालामुखी 10-12 हजार वर्षों के बाद फटा।
  • राख का गुबार भारत से चीन की ओर बढ़ा।
  • भारतीय मौसम विभाग ने इसे खतरनाक नहीं बताया।
  • कई उड़ानों के मार्ग में बदलाव किया गया।
  • राख का असर एक्यूआई पर नहीं पड़ेगा।

नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। इथियोपिया का हेली गुब्बी ज्वालामुखी लगभग 10-12 हजार वर्ष के बाद एक बार फिर सक्रिय हुआ है। इस ज्वालामुखी से उत्पन्न हुई राख अब भारत के रास्ते होते हुए चीन की ओर बढ़ चुकी है। यह राख भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली तक देखी गई है। इसका प्रभाव भारतीय एयरलाइंस सेवाओं पर भी पड़ा है। अब यह ज्वालामुखी की राख चीन के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, ज्वालामुखी से निकली राख का बादल इथियोपिया से लाल सागर होते हुए यमन, ओमान, अरब सागर के ऊपर से पश्चिमी भारत में और फिर उत्तर भारत तक पहुंचा है।

ताजा जानकारी के मुताबिक, यह राख का बादल अब भारत से निकलकर चीन की दिशा में बढ़ गया है। उल्लेखनीय है कि यह ज्वालामुखी लगभग 12 हजार वर्ष तक शांत रहा है। ज्वालामुखी की राख आसमान में लगभग 14 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैल गई।

हालांकि, भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि इस राख के बादल से कोई खतरा नहीं है। लेकिन, इस राख के बादल के भारत में प्रवेश करने के बाद कई उड़ानों के मार्ग को मोड़ दिया गया है और कुछ उड़ानें रद्द भी की गई हैं।

इससे पहले, आईएमडी ने बताया था कि मंगलवार को राख का गुबार गुजरात, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के ऊपर से गुजरा। हालांकि, यह बादल ज्यादातर वायुमंडल के बीच के स्तर पर बना रहा, लेकिन इसके कारण विमानों के संचालन में कुछ रुकावट आई और अधिकारियों को एविएशन के लिए सुरक्षा सलाह जारी करनी पड़ी।

'इंडियामेटस्काई वेदर' के अनुसार, इस गुबार में मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) मौजूद है और ज्वालामुखी की राख कम से मध्यम सांद्रता में है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इसका एक्यूआई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन नेपाल की पहाड़ियों पर इसका असर हो सकता है।

इंडियामेटस्काई वेदर ने कहा, "इस ऐश प्लम में मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड है और ज्वालामुखी की राख कम से मध्यम मात्रा में है। यह अब ओमान-अरब सागर क्षेत्र से उत्तर और मध्य भारत के मैदानी इलाकों तक फैल रहा है। यह एक्यूआई स्तर पर असर नहीं डालेगा, लेकिन यह नेपाल की पहाड़ियों, हिमालय और उत्तर प्रदेश के आस-पास के तराई क्षेत्र में SO2 स्तर पर असर डालेगा। क्योंकि कुछ मटीरियल पहाड़ियों से टकराएगा और फिर चीन चला जाएगा।"

एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि मैदानी इलाकों में राख गिरने की संभावना कम है, लेकिन यह प्लम धीरे-धीरे दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के ऊपर से गुजरता रहेगा, लेकिन सतह की हवा की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

Point of View

बल्कि यह चीन में भी चिंता का विषय बन सकता है। भारतीय मौसम विभाग ने हालांकि इसे खतरनाक नहीं बताया है, फिर भी यह स्थिति परेशानी का कारण बन सकती है।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

इथियोपिया का हेली गुब्बी ज्वालामुखी कब फटा?
यह ज्वालामुखी लगभग 10-12 हजार साल के बाद 26 नवंबर 2023 को फटा।
ज्वालामुखी से निकली राख का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
राख का गुबार भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली तक पहुंचा, जिससे कई उड़ानों का मार्ग बदला गया और कुछ उड़ानें रद्द की गईं।
क्या ज्वालामुखी की राख से कोई स्वास्थ्य खतरा है?
भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि राख के बादल से कोई खतरा नहीं है, लेकिन सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
राख का गुबार चीन की ओर कब पहुंचेगा?
ताजा जानकारी के अनुसार, राख का गुबार अब भारत से निकलकर चीन की ओर बढ़ चुका है।
इस ज्वालामुखी विस्फोट का असर कब तक रहेगा?
इसका असर स्थानीय मौसम और एयरलाइंस सेवाओं पर कुछ समय तक रह सकता है।
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