क्या जम्मू-कश्मीर पर फारूक अब्दुल्ला का बयान गैर जिम्मेदाराना है?

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क्या जम्मू-कश्मीर पर फारूक अब्दुल्ला का बयान गैर जिम्मेदाराना है?

सारांश

भाजपा सांसद बृजलाल ने फारूक अब्दुल्ला के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह बयान न केवल तथ्यहीन है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी खतरे में डालता है। क्या यह सच है कि मुस्लिम जनसंख्या जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिला रही है?

Key Takeaways

  • फारूक अब्दुल्ला का बयान विवादास्पद है।
  • भाजपा सांसद बृजलाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
  • जम्मू-कश्मीर के विकास में अनुच्छेद 370 का महत्व है।
  • सामाजिक सौहार्द को बनाए रखना आवश्यक है।
  • कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर सवाल उठाए गए हैं।

नई दिल्ली, २४ जून (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद बृजलाल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने का कारण वहां की मुस्लिम जनसंख्या को बताया था। इस पर पलटवार करते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि उनका यह बयान न केवल तथ्यों से परे है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाने वाला है।

बृजलाल ने कहा, "विपक्ष लगातार अनर्गल प्रश्न उठाता रहता है। फारूक अब्दुल्ला का यह कहना कि जम्मू-कश्मीर को इसलिए पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल रहा क्योंकि वहां मुस्लिम जनसंख्या है, बेहद दुखद है। क्या जम्मू-कश्मीर में केवल मुस्लिम ही रहते हैं? वहां हिंदू, सिख और अन्य समुदाय के लोग नहीं हैं? यह बयान सामुदायिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश है।"

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कभी यह नहीं कहा कि जम्मू-कश्मीर को हमेशा केंद्र शासित प्रदेश के रूप में ही रखा जाएगा। जब समय आएगा, भारत सरकार पूर्ण राज्य के दर्जे पर विचार करेगी। अभी फारूक अब्दुल्ला को यह जवाब देना चाहिए कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो अत्याचार हुआ, उनके कत्लेआम और पलायन पर उनकी चुप्पी क्यों थी?

उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने के निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह फैसला जम्मू-कश्मीर के विकास और वहां के लोगों के कल्याण के लिए लिया गया था। जब अनुच्छेद 370 को २०१९ में हटाया गया, तब यह एक साहसिक और दूरगामी कदम था। पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था, पाकिस्तानी झंडे लहराए जाते थे और कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हुए। करीब पाँच लाख कश्मीरी पंडितों को अपनी ज़मीन छोड़कर पलायन करना पड़ा। उस समय फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे। तब मस्जिदों से ऐलान हो रहा था कि कश्मीरी पंडित अपनी बेटियों और बहनों को छोड़कर भाग जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें। उस वक्त फारूक अब्दुल्ला ने क्या किया? उनके परिवार ने क्या कदम उठाए?"

भाजपा सांसद ने फारूक अब्दुल्ला के परिवार और उनके पिता शेख अब्दुल्ला की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "शेख अब्दुल्ला ने नेहरू जी को प्रभावित करके जम्मू-कश्मीर को एक अलग क्षेत्र की तरह पेश किया। उस समय वहां बिना परमिट के कोई जा नहीं सकता था। यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान था, जिन्होंने 'एक देश में दो निशान, दो प्रधान, दो संविधान' के खिलाफ आवाज उठाई। उनके इस बलिदान को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने २०१९ में अनुच्छेद 370 को समाप्त किया।"

बृजलाल ने आगे कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास का नया दौर शुरू हुआ है। पहले वहां संविधान लागू ही नहीं होता था। गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदाय के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा गया था। अब वहां आरक्षण लागू हुआ है, पसमांदा मुस्लिमों और अन्य वंचित वर्गों को सुविधाएं मिल रही हैं। यह बदलाव अनुच्छेद 370 के हटने से संभव हुआ।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम ऐसे बयानों की आलोचना करें जो समाज में विभाजन का कारण बन सकते हैं। हम सभी को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
NationPress
24/06/2025

Frequently Asked Questions

फारूक अब्दुल्ला का बयान क्या था?
फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने का कारण वहां की मुस्लिम जनसंख्या को बताया।
बृजलाल ने फारूक अब्दुल्ला के बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
बृजलाल ने कहा कि उनका बयान तथ्यों से परे और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाला है।