क्या गोमुखासन से धनुषासन तक, फेफड़ों के लिए वरदान नहीं हैं ये आसन?

Click to start listening
क्या गोमुखासन से धनुषासन तक, फेफड़ों के लिए वरदान नहीं हैं ये आसन?

सारांश

फेफड़ों का स्वास्थ्य जीवन में महत्वपूर्ण है। आइए जानें, कैसे योग आसन जैसे गोमुखासन और धनुषासन, फेफड़ों को मजबूत बनाने के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकते हैं।

Key Takeaways

  • गोमुखासन फेफड़ों की लचीलेपन को बढ़ाता है।
  • धनुषासन रीढ़ की लचीलापन में सुधार करता है।
  • भुजंगासन श्वसन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है।
  • मत्स्यासन मानसिक शांति प्रदान करता है।
  • सुखासन तनाव कम करने में सहायक है।

नई दिल्ली, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। फेफड़े केवल ऑक्सीजन के संचार में ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन में सांस लेने के लिए भी आवश्यक हैं। भारतीय योग पद्धति में ऐसे अनेक आसन हैं जो फेफड़ों को मजबूत करने के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारने में सहायक होते हैं।

फेफड़ों को स्वस्थ रखने का सबसे प्रभावी उपाय योग है। योग तनाव को कम करने के साथ-साथ फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। गोमुखासन, धनुषासन, भुजंगासन, मत्स्यासन और सुखासन जैसे कई आसन फेफड़ों की क्षमता में सुधार करने में सहायक होते हैं।

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, गोमुखासन एक शक्तिशाली आसन है जो फेफड़ों की लचीलेपन और क्षमता को बढ़ाता है। यह आसन श्वास और मुद्रा को सुधारने में मदद करता है, और मानसिक शांति भी प्रदान करता है।

गोमुखासन करने की विधि भी बहुत सरल है। सबसे पहले, समतल स्थान पर बैठें और पैरों को सामने की ओर फैलाएं। फिर बाएं घुटने को मोड़ें और उसे दाएं कूल्हे के पास लाएं। इसी प्रकार दाएं घुटने को मोड़कर दायां पैर बाएं कूल्हे के पास लाएं। बाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर कंधे के ऊपर ले जाएं ताकि हथेली कंधों के बीच टिक जाए। फिर दाएं हाथ को पीठ के पीछे से ऊपर लाते हुए हथेली को ऊपर रखें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाएं और सामान्य श्वास के साथ स्थिति में कुछ देर रहें। इसके बाद, पैरों और हाथों की स्थिति बदलकर प्रक्रिया को दोहराएं।

गोमुखासन न केवल फेफड़ों को मजबूत करता है, बल्कि कई अन्य लाभ भी प्रदान करता है। यह रीढ़ को लचीला बनाता है, कंधों और छाती को खोलता है, जिससे श्वसन प्रक्रिया में सुधार होता है। यह आसन मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है। नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र को भी मजबूती मिलती है और पीठ दर्द से राहत मिलती है।

धनुषासन एक प्रभावी योगासन है, जो रीढ़ की लचीलापन बढ़ाता है और फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है। इसमें पेट के बल लेटकर पैरों को मोड़ते हुए हाथों से पकड़ा जाता है, जिससे धनुष जैसी आकृति बनती है। यह पाचन, मुद्रा और तनाव को कम करने में भी सहायक है।

भुजंगासन, जिसे कोबरा पोज भी कहते हैं, यह योगासन रीढ़ की लचीलापन बढ़ाता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता में इजाफा करता है। यह श्वसन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है और तनाव को कम करने में मददगार होता है। नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

मत्स्यासन जिसे फिश पोज के नाम से जाना जाता है, यह रीढ़ की लचीलापन और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है। यह आसन छाती को खोलता है, श्वसन प्रक्रिया में सुधार करता है और तनाव को कम करने में सहायक है।

सुखासन, जिसे आसान पोज भी कहते हैं, यह एक सरल योगासन है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को सीधा रखता है, और तनाव को कम करने में मदद करता है।

Point of View

हम यह मानते हैं कि योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। आज का युग तनावपूर्ण है, इसलिए योग आसनों का अभ्यास करके हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

गोमुखासन करने का सही समय क्या है?
सुबह का समय योग करने के लिए सबसे अच्छा होता है, क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
क्या धनुषासन सभी के लिए सुरक्षित है?
धनुषासन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें, विशेषकर अगर आपको रीढ़ की कोई समस्या है।
क्या योग के अलावा अन्य उपाय फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए हैं?
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान से बचना भी फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।