क्या फिविन ऐप स्कैम में ईडी ने नए आरोपियों के नाम जोड़े?
सारांश
Key Takeaways
- फिविन ऐप कोविड काल में शुरू हुआ था।
- ईडी ने नए आरोपियों का नाम जोड़ा है।
- इस धोखाधड़ी में लगभग 400 करोड़ रुपए जुटाए गए।
- जांच में चाइनीज़ नागरिकों की संलिप्तता सामने आई है।
- 12 कंपनियों को धोखाधड़ी में शामिल किया गया है।
कोलकाता, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कोलकाता ने ऑनलाइन गेमिंग ऐप फिविन से संबंधित धोखाधड़ी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच को आगे बढ़ाते हुए 8 दिसंबर 2025 को विशेष अदालत (पीएमएलए), कोलकाता के समक्ष एक परिशिष्ट अभियोजन शिकायत दायर की है। इस शिकायत में उत्कर्ष आर्या और सुजीत कुमार झा को नए आरोपितों के रूप में जोड़ा गया है।
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि दोनों ने अपराध की आय को छिपाने, अपने कब्जे में रखने और उसके दुरुपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, सुजीत कुमार झा के स्वामित्व वाली 12 कंपनियों को भी अभियोजन में शामिल किया गया है, जिन्हें कॉरपोरेट ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया, ताकि फिविन ऐप से प्राप्त अवैध धन को वैध कारोबारी आय के रूप में पेश किया जा सके।
ईडी द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि यह फिविन नामक अवैध ऑनलाइन गेमिंग ऐप कोविड काल 2020 के दौरान शुरू हुआ और जून 2023 तक सक्रिय रहा। इसे एक तेज़ पैसा कमाने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में प्रचारित किया गया और यूट्यूब, फेसबुक एवं अन्य डिजिटल माध्यमों पर बड़े पैमाने पर मार्केटिंग की गई। ऐप पर माइन्सवीपर, कलर प्रेडिक्शन जैसे सरल खेल खेले जाते थे, जिनमें खिलाड़ी के कौशल का कोई योगदान नहीं होता। सारा खेल किस्मत पर आधारित था और इसका उद्देश्य लोगों को दांव पर पैसे लगाने के लिए उकसाना था।
ईडी ने अपनी जांच की शुरुआत कोलकाता के कॉस्सीपोरे थाने में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर की थी, जिसमें अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए थे। जांच में यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि इस ऐप का संचालन चीन के नागरिकों द्वारा भारतीय नागरिकों की सहायता से किया जा रहा था।
जांच में खुलासा हुआ कि भारतीय आरोपी और उनकी संबद्ध कंपनियां चीनी ऑपरेटरों के साथ अपराध की आय का लेनदेन किया करते थे। ये रकम क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भेजी और प्राप्त की जाती थी। फिविन ऐप से ठगे गए ऑनलाइन खिलाड़ियों का पैसा कई ऐसे बैंक खातों में जमा कराया जाता, जिनके मालिकों को रीचार्ज पर्सन कहा गया। ये लोग कमीशन लेकर अपने बैंक खातों का उपयोग ऐप संचालकों को देने में करते थे।
ईडी ने दावा किया है कि इस धोखाधड़ी के माध्यम से लगभग 400 करोड़ रुपए इकट्ठा किए गए, जिन्हें बाद में चीनी नागरिकों के नाम पर बिनेंस वॉलेट्स में ट्रांसफर कर दिया गया। चीनी संचालक भारतीय आरोपियों से डिजिटल माध्यमों, खासकर टेलीग्राम ग्रुप्स, के जरिए लगातार संपर्क में रहते थे और निर्देश देते थे।
इस मामले में इससे पहले 19 सितंबर 2024 को 25.78 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया गया था। वहीं, जांच के दौरान जोसेफ स्टालिन, चेतन प्रकाश और आलोक कुमार साहू को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। 7 अक्टूबर 2024 को विशेष अदालत (पीएमएलए), कोलकाता में एक अन्य अभियोजन शिकायत दाखिल की गई थी।
एजेंसी ने आगे बताया कि इस मामले में आगे की जांच अभी जारी है।