क्या आप अपनी सेहत से प्यार करते हैं? तो आयुर्वेद में बताए इन नुस्खों से रखें गले का ख्याल!

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क्या आप अपनी सेहत से प्यार करते हैं? तो आयुर्वेद में बताए इन नुस्खों से रखें गले का ख्याल!

सारांश

गले की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जानें आयुर्वेद द्वारा सुझाए गए सरल और प्रभावी उपाय, जो न केवल गले को मजबूत बनाएंगे बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी बेहतर करेंगे। ये नुस्खे आपकी सेहत में सुधार लाने में मदद करेंगे।

Key Takeaways

  • गले की सेहत का ध्यान रखना ज़रूरी है।
  • आयुर्वेद के अनुसार, गला तीन दोषों से प्रभावित होता है।
  • गुनगुने पानी से गरारे करना एक सरल उपाय है।
  • हल्दी और शहद गले की खराश को कम करते हैं।
  • प्राणायाम और योग गले की सेहत में सुधार करते हैं।

नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में गले को शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, क्योंकि यह न केवल भोजन और पानी को निगलने का मार्ग है, बल्कि वाणी, श्वास और संचार का भी केंद्र है। आयुर्वेद के अनुसार, गले में कंठ और स्वर तंत्र होते हैं, जो बोलने की क्षमता और जीवन ऊर्जा (प्राण) के प्रवाह से जुड़े हैं। इसलिए, गले की सुरक्षा और देखभाल को स्वास्थ्य का एक अनिवार्य हिस्सा माना गया है।

आयुर्वेद के अनुसार, गला वात, पित्त और कफ तीनों दोषों से प्रभावित हो सकता है। यदि इन दोषों का संतुलन बिगड़ जाए, तो गले से संबंधित कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, अधिक ठंडे या गरम पदार्थों का सेवन कफ को बढ़ा सकता है, जिससे गले में खराश, सूजन या बलगम की समस्या हो सकती है। इसी प्रकार, तीखे और खट्टे पदार्थों का अधिक सेवन पित्त को बढ़ाता है, जिससे गले में जलन हो सकती है। वहीं, वात दोष का असंतुलन गले को शुष्क कर देता है, जिससे बोलने में कठिनाई और खरखराहट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, आयुर्वेद गले की देखभाल में दोषों के संतुलन पर विशेष ध्यान देने की सलाह देता है।

आयुर्वेद में गले की सुरक्षा और सेहत के लिए सरल लेकिन प्रभावी उपाय बताए गए हैं। गुनगुने पानी से गरारे करना सबसे आसान और प्रभावी उपाय माना जाता है, क्योंकि यह गले की सफाई करता है और संक्रमण से बचाता है। हल्दी और शहद का मिश्रण गले की खराश और सूजन को कम करता है, साथ ही यह एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक का कार्य भी करता है। तुलसी और मुलेठी का काढ़ा गले के लिए अमृत समान माना जाता है, क्योंकि यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और गले को भीतर से मजबूत करता है। इसके अलावा, अदरक, लौंग और काली मिर्च जैसे घरेलू मसाले भी गले के दर्द और संक्रमण में लाभकारी होते हैं। आयुर्वेद में यह भी कहा गया है कि अधिक ठंडे पेय, आइसक्रीम और अत्यधिक तैलीय पदार्थों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये गले को कमजोर बनाते हैं।

गले की देखभाल केवल औषधियों या नुस्खों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवनशैली का संतुलन भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्राणायाम और ध्यान जैसी क्रियाएं गले और स्वर तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होती हैं। प्राणायाम से श्वास प्रणाली मजबूत होती है और वाणी की स्पष्टता बढ़ती है। नियमित योगाभ्यास गले में रक्तसंचार को बेहतर बनाता है और इससे कंठ का स्वास्थ्य लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। इसके अलावा, पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और तनावमुक्त जीवनशैली भी गले की सेहत के लिए आवश्यक है।

पीआईएम/डीएससी

Point of View

यह हमारे जीवनशैली के संतुलन पर भी निर्भर करता है। आयुर्वेद के अनुसार, गले की सुरक्षा के लिए न केवल नुस्खों का पालन करना जरूरी है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

गले की सेहत के लिए कौन से घरेलू उपाय हैं?
गुनगुने पानी से गरारे करना, हल्दी और शहद का मिश्रण, तुलसी और मुलेठी का काढ़ा और अदरक का सेवन गले की सेहत के लिए लाभकारी होते हैं।
क्या आयुर्वेद गले की समस्याओं के लिए प्रभावी है?
हाँ, आयुर्वेद गले की समस्याओं के लिए प्राकृतिक और प्रभावी उपाय प्रदान करता है, जो शरीर के दोषों को संतुलित करने में मदद करते हैं।
गले की देखभाल के लिए क्या करना चाहिए?
गले की देखभाल के लिए संतुलित आहार, प्राणायाम, योगाभ्यास और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।