क्या गांधी विरासत का सम्मान करना आवश्यक है? शशि थरूर ने मनरेगा नाम बदलने के विवाद को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

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क्या गांधी विरासत का सम्मान करना आवश्यक है? शशि थरूर ने मनरेगा नाम बदलने के विवाद को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

सारांश

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मनरेगा का नाम बदलने को लेकर उठे विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है। उन्होंने कहा कि यह गांधीजी की विरासत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है और इसके पीछे एक कृत्रिम वैचारिक विभाजन का खतरा है।

Key Takeaways

  • शशि थरूर ने मनरेगा नाम बदलने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
  • यह कदम गांधीजी की विरासत को नुकसान पहुँचाने का खतरा उठाता है।
  • कांग्रेस ने इस बदलाव का विरोध किया है।
  • ग्रामीण रोजगार कानून में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव है।

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने सोमवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने से संबंधित उठे विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया।

थरूर ने कहा कि इससे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत को नुकसान पहुँचने का जोखिम है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की गतिविधियों से एक कृत्रिम वैचारिक विभाजन उत्पन्न किया जा रहा है, जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।

केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नए ग्रामीण रोजगार कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने कहा कि जिन सिद्धांतों का उल्लेख किया जा रहा है, वे कभी भी एक-दूसरे के विरोधी नहीं रहे हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “सरकार के द्वारा प्रस्तावित नए जी-राम-जी विधेयक में मनरेगा का नाम बदलने को लेकर जो विवाद उत्पन्न हुआ है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी परस्पर विरोधी नहीं रहे, बल्कि ये गांधीजी की चेतना के दो स्तंभ थे।”

थरूर ने आगे कहा, “ग्रामीण गरीबों से जुड़ी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना इस गहरे समन्वय की अनदेखी है। गांधीजी की अंतिम सांस भी ‘राम’ के स्मरण के साथ थी। जहां कोई विभाजन नहीं था, वहां विभाजन पैदा कर उनकी विरासत का अपमान नहीं होना चाहिए।”

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब केंद्र सरकार लोकसभा में ‘विकसित भारत–रोज़गार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ पेश करने की तैयारी कर रही है, जिसे संक्षेप में जी-राम-जी कहा जा रहा है।

प्रस्तावित विधेयक के तहत करीब दो दशक पुराने मनरेगा कानून को प्रतिस्थापित करने और ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव है।

कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया है और आरोप लगाया है कि सरकार महात्मा गांधी की विरासत को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने नाम परिवर्तन के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे अनावश्यक सार्वजनिक खर्च बढ़ेगा।

उन्होंने कहा, “दफ्तरों से लेकर स्टेशनरी तक, हर चीज का नाम बदलना पड़ेगा। यह एक बड़ी और महंगी प्रक्रिया है। बिना किसी जरूरत के ऐसा करने से क्या लाभ होगा?”

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, ग्रामीण परिवारों को मिलने वाले गारंटीकृत रोजगार के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन की जाएगी। ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ में धोखाधड़ी की पहचान के लिए एआई आधारित प्रणालियों को शामिल किया गया है। साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत में साल में दो बार सामाजिक अंकेक्षण को अनिवार्य किया गया है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, यह कानून न केवल ग्रामीण रोजगार सृजन के लिए बल्कि किसानों को भी प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, ताकि समय पर श्रम उपलब्ध हो सके और बेहतर समन्वय के साथ कृषि से जुड़ी परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा सके।

Point of View

यह स्पष्ट है कि शशि थरूर का बयान एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करता है। महात्मा गांधी की विरासत को बनाए रखना और उसका सम्मान करना हमारे लिए आवश्यक है। यह विवाद हमें एक समाज के रूप में सोचने और एकजुट होने का अवसर प्रदान करता है।
NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

मनरेगा का नाम क्यों बदला जा रहा है?
केंद्र सरकार द्वारा नए ग्रामीण रोजगार कानून के तहत मनरेगा का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया गया है।
शशि थरूर ने इस विवाद पर क्या कहा?
उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि इससे गांधीजी की विरासत को नुकसान पहुँच सकता है।
क्या कांग्रेस इस नाम बदलने के खिलाफ है?
हाँ, कांग्रेस ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है और इसे महात्मा गांधी की विरासत को कमजोर करने की कोशिश बताया है।
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