क्या गर्भवती महिलाओं और बच्चों में सीसा विषाक्तता की जांच होगी?

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क्या गर्भवती महिलाओं और बच्चों में सीसा विषाक्तता की जांच होगी?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत पर सीसा कितना गंभीर प्रभाव डाल सकता है? इस नए अध्ययन के तहत हम जानेंगे कि सीसा की विषाक्तता कैसे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यह एक महत्वपूर्ण शोध है जो हमारे बच्चों और माताओं के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

Key Takeaways

  • गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत पर सीसा का प्रभाव जानने के लिए अध्ययन शुरू हो रहा है।
  • सीसा विषाक्तता एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।
  • इस परियोजना में 20 जिलों को शामिल किया गया है।
  • टीम विभिन्न स्रोतों से नमूने एकत्र करेगी।
  • इस अध्ययन का उद्देश्य स्वास्थ्य में सकारात्मक सुधार लाना है।

लखनऊ, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत पर सीसा का क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसकी गहन जांच की जाएगी। लखनऊ स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के साथ-साथ पर्यावरण में फैल रहे सीसे के स्तर का मूल्यांकन करेगा। यह जांच प्रदेश के 20 जिलों में विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित अनुसंधान परियोजना के तहत की जाएगी।

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया है कि वे संबंधित जिलों में लोहिया संस्थान की टीम का सहयोग करें और आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करें। सीसा विषाक्तता एक गंभीर समस्या है, विशेषकर विकासशील देशों में। यह तंत्रिका, हड्डी और खून से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। बच्चों और गर्भस्थ शिशुओं के मानसिक विकास में भी सीसा बाधा उत्पन्न करता है। इसके प्रभावों को समझने के लिए सीसा विषाक्तता आंकलन परियोजना का शुभारंभ किया जा रहा है, जिसमें गर्भवती महिलाओं और 2 से 14 वर्ष के बच्चों के रक्त में सीसे के स्तर की जांच की जाएगी।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के अंतर्गत लोहिया की टीमें रक्त और पर्यावरणीय स्रोतों के नमूने एकत्र करेंगी। मिट्टी, पेयजल, मसाले, सौंदर्य प्रसाधन और भोजन पकाने के बर्तनों जैसे नमूनों की जांच की जाएगी। औद्योगिक श्रमिकों के रक्त के सैंपल की भी जांच की जाएगी। क्षेत्रीय फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों जैसे कि आशा वर्कर और एएनएम घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे और पात्र व्यक्तियों की पहचान में मदद करेंगे।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जानकारी दी कि यूपी में यह पहली बार सीसा विषाक्तता आंकलन परियोजना शुरू की जा रही है। इस अध्ययन से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और जोखिम वाले पेशेवर समूहों के स्वास्थ्य में सकारात्मक सुधार की संभावना है। इस परियोजना के तहत आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, एटा, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, कानपुर नगर, कानपुर देहात, बांदा, झांसी, कन्नौज, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, चित्रकूट और कासगंज जिलों को शामिल किया गया है।

Point of View

बल्कि यह हमारे भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षा का एक साधन बनेगा।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

सीसा विषाक्तता क्या है?
सीसा विषाक्तता तब होती है जब शरीर में सीसे की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
इस अध्ययन का उद्देश्य क्या है?
इस अध्ययन का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर सीसा के प्रभाव को समझना और उसके स्तर की जांच करना है।
कौन-कौन से जिले इस परियोजना में शामिल हैं?
इस परियोजना में आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, एटा, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, कानपुर नगर, कानपुर देहात, बांदा, झांसी, कन्नौज, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, चित्रकूट और कासगंज शामिल हैं।
सीसा विषाक्तता के लक्षण क्या हैं?
सीसा विषाक्तता के लक्षणों में थकान, पेट दर्द, सिरदर्द, और मानसिक विकास में बाधा शामिल हैं।
इस जांच का लाभ किसे होगा?
इस जांच से गर्भवती महिलाओं, बच्चों और जोखिम वाले पेशेवर समूहों के स्वास्थ्य में सुधार होगा।