क्या गरियाबंद जंगलों में नक्सल डंप बरामद हुआ ? आईईडी सामग्री, कुकर और राशन जब्त, माओवादियों की साजिश नाकाम
सारांश
Key Takeaways
- नक्सलियों की खतरनाक साजिश को पुलिस ने नाकाम किया।
- आईईडी, कुकर और राशन सामग्री बरामद की गई।
- सुरक्षा बलों की सतर्कता ने क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित किया।
- इस कार्रवाई से स्थानीय आदिवासी समुदायों को फायदा होगा।
- गरियाबंद एक संवेदनशील नक्सल प्रभावित जिला है।
गरियाबंद, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के घने जंगलों में पुलिस की सतर्कता ने नक्सलियों की खतरनाक साजिश को नष्ट कर दिया है। जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर, थाना शोभा एवं थाना पायलीखंड (जुगाड़) क्षेत्र के ग्राम साईबीनकछार, कोदोमाली तथा भूतबेड़ा के जंगली इलाकों में तीन अलग-अलग स्थानों पर छिपाए गए विशाल डंप से बड़ी मात्रा में आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने का सामान, चार कुकर, इलेक्ट्रिक वायर, फटाके और अन्य राशन सामग्री बरामद की गई।
जिला पुलिस की ऑपरेशन टीम ई-30 की इस सफल कार्रवाई ने माओवादियों के विनाशकारी इरादों को करारा झटका दिया है। यह अभियान रविवार सुबह शुरू हुआ, जब स्थानीय सूचना तंत्र से जानकारी मिली कि प्रतिबंधित माओवादी संगठन की उदंती एरिया कमेटी के नक्सली पुलिस दलों या ग्रामीणों को निशाना बनाने और दहशत फैलाने के लिए जंगलों में विस्फोटक डंप छिपा रखे हैं।
गरियाबंद एसपी कमल शंकर सिंह के निर्देश पर ई-30 टीम, जिसमें बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वायड (बीडीएस) की विशेषज्ञता शामिल थी, जिला मुख्यालय से रवाना हुई। जंगली और पहाड़ी इलाकों में सघन सर्चिंग के दौरान तीन संदिग्ध स्थानों पर जमीन के नीचे दबी सामग्री का पता चला। सावधानीपूर्वक खुदाई के बाद बरामद सामग्री में आईईडी निर्माण के लिए पर्याप्त विस्फोटक पदार्थ, कुकर बम के लिए चार स्टील कुकर, लंबे-लंबे इलेक्ट्रिक वायर रोल, फायरिंग के लिए फटाके और नक्सलियों के लंबे समय तक छिपने के लिए राशन जैसे चावल, दालें तथा अन्य खाद्य पदार्थ शामिल थे।
एसपी कमल शंकर सिंह ने बताया, "यह डंप उदंती एरिया कमेटी के सक्रिय नक्सलियों द्वारा तैयार किया गया था, जो सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बना रहे थे। बरामद सामग्री से कम से कम दर्जनों आईईडी तैयार हो सकते थे, जो ग्रामीणों और पुलिस के लिए घातक साबित होते। हमारी टीम ने बिना किसी हादसे के इसे निष्क्रिय कर दिया।"
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई न केवल नक्सल हिंसा को रोकने में सफल रही, बल्कि क्षेत्र के आदिवासी समुदायों को भी सुरक्षित बनाएगी। गरियाबंद छत्तीसगढ़ का संवेदनशील नक्सल प्रभावित जिला है, जहां उदंती-मैनपट क्षेत्र माओवादियों का गढ़ माना जाता है। हाल के वर्षों में राज्य में नक्सल गतिविधियां कम हुई हैं, लेकिन आईईडी हमले अभी भी प्रमुख खतरा बने हुए हैं।