क्या जीबीजी एक्ट बेंगलुरु शासन को विकेंद्रीकरण की आड़ में पुनः केंद्रीकृत कर रहा है?

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क्या जीबीजी एक्ट बेंगलुरु शासन को विकेंद्रीकरण की आड़ में पुनः केंद्रीकृत कर रहा है?

सारांश

तेजस्वी सूर्या ने जीबीजी एक्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बेंगलुरु शासन में सुधार का अवसर है, जो विकेंद्रीकरण की आड़ में पुनः केंद्रीकरण की ओर बढ़ रहा है। क्या यह बेंगलुरु के लिए सही है?

Key Takeaways

  • जीबीजी एक्ट शासन में सुधार का अवसर है।
  • विकेंद्रीकरण के नाम पर पुनः केंद्रीकरण का आरोप।
  • तेजस्वी सूर्या की आलोचना ने मुद्दे को और गहरा किया है।
  • महानगर योजना समिति की उपेक्षा की जा रही है।
  • शासन में पारदर्शिता की कमी।

बेंगलुरु, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष और बेंगलुरु दक्षिण से लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या ने शनिवार को कहा कि ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस (जीबीजी) एक्ट, बेंगलुरु के शासन में सुधार का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो विकेंद्रीकरण के नाम पर पुनः केंद्रीकरण का खेल खेल रहा है। उन्होंने यह बात बेंगलुरु में जनाग्रह सेंटर फॉर सिटिजनशिप एंड डेमोक्रेसी द्वारा आयोजित जीबीजी एक्ट पर पैनल चर्चा में व्यक्त की।

तेजस्वी सूर्या ने कहा, "अब हम एक ऐसी प्रणाली में हैं जहाँ अधिकतम सरकार और न्यूनतम शासन का सिद्धांत लागू है। यह एक्ट राज्य की विकास क्षमता को बढ़ाने के बजाय नौकरशाही के जाल को और गहरा कर देता है। सत्ता हमेशा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के माध्यम से प्रवाहित होती है, जनता की सहभागिता पर ध्यान नहीं दिया जाता।"

सूर्या ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, "पांच शक्तिहीन निगम, औपचारिक महापौर और वित्त या अधिकार का कोई वास्तविक हस्तांतरण नहीं है। वार्ड समितियों में सदस्यों की संख्या में इजाफा किया गया है, लेकिन अध्यक्ष (पार्षद) के पास अभी भी वीटो शक्ति है, जिससे सहभागिता केवल सिफारिशों तक सीमित रह जाती है।

उन्होंने आगे कहा, "यह अधिनियम महानगर योजना समिति को सशक्त करने के बजाय उसे खत्म कर रहा है, जो कि संविधान के 74वें संशोधन का उल्लंघन है। यदि हमारा लक्ष्य शासन को जनता के करीब लाना है, तो हमें वार्डों की संख्या बढ़ाकर और क्षेत्रीय समितियों को सशक्त करके ऐसा करना चाहिए, न कि निगमों की संख्या बढ़ाकर। संक्षेप में, जीबीजी अधिनियम बेंगलुरु के लिए एक नई बोतल में पुरानी शराब की तरह है- ज्यादा नौकरशाही, कम लोकतंत्र।"

सूर्या ने यह भी कहा, "जब पारदर्शिता की बात आती है, तो सत्ता में बैठे लोगों में गंभीर असुरक्षा की भावना होती है। हमें मेट्रो किराया निर्धारण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा- बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीएमआरसीएल) ने मनमाने ढंग से किराये में संशोधन किया, बिना किसी रिपोर्ट को प्रकाशित किए।"

Point of View

जीबीजी एक्ट का उद्देश्य बेंगलुरु की शासन प्रणाली को सशक्त बनाना है। हालांकि, यदि यह विकेंद्रीकरण के नाम पर पुनः केंद्रीकरण का परिणाम है, तो यह जनता की आवाज को दबा सकता है। इस दृष्टिकोण से, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शासन प्रणाली में वास्तविक transparencies और जवाबदेही बनी रहे।
NationPress
11/10/2025

Frequently Asked Questions

जीबीजी एक्ट का मुख्य उद्देश्य क्या है?
जीबीजी एक्ट का मुख्य उद्देश्य बेंगलुरु के शासन में सुधार लाना है, लेकिन इसे विकेंद्रीकरण के नाम पर पुनः केंद्रीकरण का आरोप लगाया गया है।
तेजस्वी सूर्या का इस एक्ट पर क्या कहना है?
तेजस्वी सूर्या ने कहा कि यह अधिनियम बेंगलुरु के लिए एक नई बोतल में पुरानी शराब है।
क्या जीबीजी एक्ट से जनता को कोई लाभ होगा?
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जीबीजी एक्ट से जनता को कोई वास्तविक लाभ होगा, क्योंकि सत्ता की विकेन्द्रीकरण में कमी हो रही है।