क्या है घमरा: आयुर्वेद की वो जड़ी-बूटी जो शरीर को अंदर से कर देगी क्लीन?

सारांश
Key Takeaways
- घमरा एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक पौधा है।
- इसके अनेक औषधीय गुण हैं।
- यह गंभीर बीमारियों में सहायक है।
- इसका सेवन विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। घमरा एक अत्यंत महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक पौधा है, जो अपनी औषधीय विशेषताओं और अनोखे गुणों के कारण प्राचीन काल से उपयोग में लाया जाता रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम ट्राइडैक्स प्रोकम्बेंस है और यह एस्टेरेसी परिवार का सदस्य है। इसे सामान्यतः कोटबटन, घमरा या ट्राइडैक्स डेजी के नाम से जाना जाता है।
यह एक फैलने वाली छोटी जड़ी-बूटी होती है, जिसकी ऊंचाई लगभग 20 सेंटीमीटर तक होती है। इसके फूल पीले-सफेद या पीले रंग के होते हैं, जो डेजी फूलों की तरह दिखते हैं। इसकी पत्तियाँ दांतेदार और तीर के आकार की होती हैं, जबकि इसके बीज हवा के माध्यम से फैलने वाले रेशेदार बालों वाले होते हैं। यह पौधा सड़कों के किनारे, दीवारों की दरारों और खुली जगहों में आसानी से उगता है।
घमरा में कई प्रकार के पोषक तत्व और औषधीय तत्व मौजूद होते हैं, जैसे अल्कलॉइड, स्टेरॉयड, फ्लेवोनॉइड्स, कैरोटीनॉइड्स, टैनिन, फैटी एसिड और खनिज पदार्थ।
इसके कारण इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटी-डायबिटिक और एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं।
घमरा का उपयोग पुराने घावों, अंदरूनी घावों, पाचन तंत्र के अल्सर, और यहां तक कि मेटास्टैटिक कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में भी सहायक माना जाता है। इसकी पत्तियों में मौजूद एसेंशियल ऑयल्स कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं और शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
घमरा का रस लिवर को साफ करने, शरीर से विषैले तत्व निकालने और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करने में सहायक होता है। यह शरीर के एंजाइम्स को सक्रिय कर, शरीर को अंदर से शुद्ध करता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान को रोकते हैं और कोशिकाओं को स्वस्थ बनाते हैं।
पारंपरिक रूप से, घमरा के पत्तियों का रस घाव, कटे या चोट के स्थान पर लगाया जाता है, जिससे रक्तस्राव रुक जाता है और घाव जल्दी भरने लगता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमण को भी दूर करते हैं। घमरा का अर्क मधुमेह में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक है और इंसुलिन उत्पादन को बढ़ावा देता है।
इसके अलावा, यह गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में भी मदद करता है। प्रभावित जोड़ों पर घमरा के तेल से मालिश करने या पत्तियों का पेस्ट लगाने से राहत मिलती है।
हालांकि, घमरा के कुछ घटक विषैले हो सकते हैं, इसलिए इसका सेवन या औषधीय उपयोग केवल किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर ही करना चाहिए।