क्या भाजपा की तारीफ करना मायावती की मजबूरी है और उनका रुख दलित हितों के खिलाफ है? : अवधेश प्रसाद
सारांश
Key Takeaways
- मायावती की भाजपा की तारीफ उनकी मजबूरी का संकेत हो सकती है।
- कांशीराम के सपने को जीवित रखने का कार्य अब सपा करेगी।
- सपा दलित और पिछड़ों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सराहना किए जाने पर समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अवधेश प्रसाद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि मायावती अपनी मजबूरी के चलते भाजपा के पक्ष में बयान दे रही हैं। बसपा के संस्थापक कांशीराम के सपनों को मायावती ने भटका दिया है, जिसे अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकार पूरा करेगी।
कांशीराम की जयंती पर अवधेश प्रसाद ने सभी को बधाई देते हुए कहा, "कांशीराम का सपना था कि दलितों, पिछड़ों और वंचित वर्गों को सम्मान और अधिकार मिले। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलते हुए कांशीराम ने समाज के कमजोर वर्गों को संगठित करने का प्रयास किया। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि मायावती ने उनके उस रास्ते को छोड़ दिया।"
उन्होंने मायावती के बयान को उनकी मजबूरी का परिणाम बताते हुए कहा कि वह दबाव में भाजपा की तारीफ कर रही हैं।
अवधेश प्रसाद ने मायावती के उस बयान पर भी प्रश्न उठाए, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि स्मारकों के टिकटों का पैसा समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा दबा दिया जाता था।
सपा सांसद ने इसे गलत बताते हुए कहा, "यह बयान पूरी तरह से असत्य है। मायावती का यह बयान भाजपा सरकार के दबाव और उनकी मजबूरी को दर्शाता है। अगर कोई मजबूरी में कुछ कहता है, तो उसे क्या कहा जा सकता है? मायावती का रुख दलित और पिछड़े वर्गों के हितों के खिलाफ है।"
अवधेश प्रसाद ने आगे कहा कि कांशीराम के सपनों को साकार करने का कार्य अब समाजवादी पार्टी करेगी। मैं भरोसा दिलाता हूं कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की सरकार बनने पर अखिलेश यादव के नेतृत्व में कांशीराम के सपनों को पूरा किया जाएगा। हम समाज के हर वर्ग को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।