क्या घुसपैठिए और फर्जी वोट लोकतंत्र के लिए हलाहल हैं?: तरुण चुघ
सारांश
Key Takeaways
- घुसपैठियों और फर्जी वोटों का लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव।
- एसआईआर का महत्व और इसकी आवश्यकता।
- भ्रष्टाचार और दमन चक्र का मुद्दा।
- राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी।
- मतदाता सूची की सफाई की जरूरत।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव आयोग की ओर से एसआईआर के दूसरे चरण की घोषणा पर विपक्षी नेताओं के बयानों पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने प्रभावी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जिनको घुसपैठियों के वोटों से वर्षों से ऑक्सीजन मिलती रही है, वे ही विरोध करेंगे। घुसपैठिए, फर्जी और मृत वोट लोकतंत्र के लिए हलाहल की तरह हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां होने वाले चुनावों में वोट का अधिकार केवल भारतवासियों का है। लेकिन कुछ भ्रष्ट युवराज और युवरानियों की टोली घुसपैठियों और फर्जी वोटों को बचाने के लिए यात्राएं और जुलूस निकाल रही है। यह देश के साथ गद्दारी है।
कुछ विपक्षी पार्टियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी हो या कांग्रेस, ये घुसपैठियों को बचाने में लगे हैं। इनकी राजनीतिक ऑक्सीजन वहीं से आती है। मतदाता सूची में घुसपैठियों को शामिल करना और घुसपैठियों द्वारा भारत के नेतृत्व चुनने की प्रक्रिया में शामिल होना आंतरिक सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। इस खतरे को दूर करने के लिए एसआईआर जरूरी है। अब मतदाता सूची से घुसपैठियों को बाहर करने का वक्त है, अब सीधी कार्रवाई का समय है। घुसपैठियों को बाहर निकालना ही पड़ेगा। एसआईआर का विरोध करने वाले संविधान विरोधी और लोकतंत्र विरोधी हैं। यह कृत्य निंदनीय है।
‘जननायक’ विवाद पर उन्होंने कहा कि जिनके दामन में भ्रष्टाचार और लूट के दाग हैं, जिनकी पार्टियों ने लोकनायक और जननायक के इरादों पर दमन चक्र चलाया, वे खुद को जननायक कहलवाने में होड़ मचा रहे हैं। जनता में ये जननायक नहीं, खलनायक हैं। यूपी-बिहार से लेकर पूरा देश खर्ची-पर्ची पर नौकरी बेचने वाले, चारा घोटाला करने वाले और गैंगस्टरों को संरक्षण देने वालों को सत्ता से बाहर बिठा रहा है।
उन्होंने कहा कि एसआईआर का निर्णय स्वागत योग्य है। भारत के चुनावों में, मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों का है और इसे सुनिश्चित करना एक संवैधानिक दायित्व है। दुर्भाग्य से, कुछ भ्रष्ट 'राजकुमार' और उनके समर्थक समूह फर्जी वोटों की रक्षा के लिए रैलियां निकाल रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक है।