क्या गृह मंत्री ने संसद में 'ऑपरेशन महादेव' की टाइमलाइन साझा की, और आतंकियों को कैसे किया ढेर?

सारांश
Key Takeaways
- ऑपरेशन महादेव के तहत तीन आतंकियों को मारा गया।
- इस ऑपरेशन की टाइमलाइन 23 अप्रैल से शुरू हुई।
- सुरक्षा बलों ने महत्वपूर्ण सूचना एकत्रित की।
- आईबी और सीआरपीएफ का सहयोग महत्वपूर्ण रहा।
- आतंकियों के पास आधुनिक हथियार मिले।
नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी कि 'ऑपरेशन महादेव' के अंतर्गत तीन आतंकियों को ढेर किया गया। ये सभी जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से जुड़े थे। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव के तहत आतंकियों सुलेमान, अफगान और जिबरान को समाप्त किया। इसके साथ ही गृह मंत्री ने संसद में विपक्ष को ऑपरेशन महादेव की संपूर्ण टाइमलाइन प्रस्तुत की। सदन को बताया गया कि इस ऑपरेशन की शुरुआत कब हुई और कैसे पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों को समाप्त किया गया।
गृह मंत्री ने बताया कि 23 अप्रैल को सुरक्षा बैठक आयोजित की गई। इसमें पहले यह निर्णय लिया गया कि हत्यारे पाकिस्तान भागने न पाए। इसके लिए हमने पुख्ता इंतजाम किए।
22 मई को आईबी के पास मानव इंटेलिजेंस आई और दाचीगाम क्षेत्र में आतंकवादियों की उपस्थिति की जानकारी प्राप्त हुई। इस जानकारी की पुष्टि करने के लिए मई से लेकर 22 जुलाई तक निरंतर प्रयास किए गए। ऊंचाई पर सिग्नल प्राप्त करने के लिए हमारे अधिकारी आतंकियों के सिग्नल को ट्रैक करते रहे।
आईबी और सीआरपीएफ भी लगातार क्षेत्र में गश्त करती रही। 22 जुलाई को हमें सफलता मिली। सेंसर्स के माध्यम से आतंकवादियों की मौजूदगी की पुष्टि हुई। इसके बाद 4 पैरा जो हमारी सेना का एक हिस्सा है, के नेतृत्व में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने मिलकर आतंकियों को घेरने का कार्य किया। इसके परिणामस्वरूप 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव के जरिए हमारे निर्दोष नागरिकों के हत्यारों को समाप्त कर दिया गया।
अमित शाह ने आगे बताया कि एनआई ने पहले से ही इन तीन आतंकियों को पनाह देने वालों और भोजन पहुंचाने वालों को गिरफ्तार कर लिया था। 28 जुलाई को जब इन आतंकवादियों के शव श्रीनगर आए, तो उनकी पहचान कराई गई, जिसमें से 4 लोगों ने पुष्टि की कि यही तीन लोग थे जिन्होंने पहलगाम में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया था। लेकिन हम लोगों ने इस पर भी भरोसा नहीं किया और कोई जल्दबाजी नहीं की।
पहलगाम हमले के स्थल से मिले कारतूसों का एफएसएल रिपोर्ट पहले ही कराई गई थी। जब कल आतंकवादी मारे गए, उनके पास एक अमेरिकी और दो एके-47 राइफलें मिलीं। कारतूस भी प्राप्त हुए। लेकिन हम इससे भी संतुष्ट नहीं हुए। इन राइफलों को एक विशेष विमान द्वारा चंडीगढ़ भेजा गया। मिलान होने पर पुष्टि हो गई कि इन्हीं राइफलों से पहलगाम हमले को अंजाम दिया गया था।