क्या जीएसटी अधिकारियों द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हुई है?

सारांश
Key Takeaways
- इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हुई है।
- सरकार ने ई-इनवॉइसिंग को अनिवार्य किया है।
- पंजीकरण के लिए आधार प्रमाणीकरण की आवश्यकता है।
- धोखाधड़ी से आईटीसी का लाभ उठाने को दंडनीय अपराध बनाया गया है।
- विशेष अभियान चलाकर फर्जी पंजीकरण पर रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सोमवार को संसद में बताया गया कि केंद्रीय जीएसटी संगठन द्वारा पिछले तीन वर्षों में पकड़े गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी के मामलों की संख्या 2022-23 में 7,231 से दोगुनी होकर 15,283 हो गई है, जिसमें 58,772 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।
सरकार ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जिसमें केवल उन चालानों के लिए आईटीसी की अनुमति देना शामिल है, जो आपूर्तिकर्ता द्वारा जीएसटीआर-1 फॉर्म में प्रस्तुत किए गए हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इन प्रयासों के तहत, यदि किसी पंजीकृत व्यक्ति ने पिछली कर अवधि के लिए जीएसटीआर-3बी फॉर्म में रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो उसे जीएसटीआर-1 फॉर्म दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसके अलावा, 5 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले व्यवसायों के लिए सभी बी2बी लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइसिंग प्रणाली (ई-इनवॉइस) को भी अनिवार्य कर दिया गया है। पंजीकरण के समय मोबाइल नंबर पर पैन के ओटीपी आधारित सत्यापन भी किया जा रहा है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो रही है।
पंजीकरण आवेदकों के लिए आधार प्रमाणीकरण का विकल्प दिया गया है, और उच्च जोखिम वाले मामलों में भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। धोखाधड़ी को रोकने के लिए समय पर रिटर्न दाखिल करने में चूक करने वाले पंजीकृत व्यक्तियों के पंजीकरण को निलंबित किया जा सकता है।
बिना बिल या चालान के आईटीसी का लाभ उठाने को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया गया है। 2024 के अंत में जीएसटी पोर्टल पर इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस) की सुविधा शुरू की जाएगी, जो करदाताओं को प्रभावी ढंग से इनवॉइस प्रबंधित करने में मदद करेगी।
केंद्रीय जीएसटी प्रशासन और राज्य प्रशासन के सहयोग से फर्जी पंजीकरण के खिलाफ विशेष अभियान भी चल रहा है।