क्या जीएसटी सुधारों से अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी स्लैब में कमी से अर्थव्यवस्था को नया संचार मिलेगा।
- उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
- सरकार ने राजस्व संग्रह पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालने का आश्वासन दिया है।
नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की महानिदेशक ज्योति विज ने जीएसटी ढांचे में हुए सुधारों की सराहना की है।
उनका कहना है कि जीएसटी स्लैब की संख्या में कमी और अनेक वस्तुओं व सेवाओं को 5 प्रतिशत की 'मेरिट रेट' में शामिल करना अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा। यह कदम उपभोग की मांग को बढ़ावा देगा और भारत को उच्च विकास की दिशा में ले जाएगा।
ज्योति विज ने जीएसटी सुधारों को भारत की आर्थिक सुधार यात्रा का एक महत्वपूर्ण चरण बताया। उनके अनुसार, सरल और कम टैक्स स्लैब न केवल व्यवसायों को लाभ पहुंचाएंगे, बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। इससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी और भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।
हाल ही में सरकार ने जीएसटी ढांचे को सरल बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। पहले जीएसटी में चार मुख्य स्लैब (5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, और 28 प्रतिशत) थे। लेकिन अब इन्हें कम करके मुख्य रूप से दो या तीन स्लैब पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को 5 प्रतिशत की 'मेरिट रेट' में शामिल किया गया है, जिसमें खाद्य पदार्थ, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामान शामिल हैं।
इसके अलावा, कुछ वस्तुओं को 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है, जबकि 28 प्रतिशत स्लैब को केवल लक्जरी और गैर-जरूरी वस्तुओं तक सीमित किया गया है।
इन सुधारों का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना, अनुपालन को आसान करना और उपभोक्ताओं पर कर का बोझ कम करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे छोटे और मध्यम व्यवसायों को लाभ होगा, साथ ही उपभोग बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन बदलावों से राजस्व संग्रह पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। फिक्की ने इन कदमों को निवेश और विकास के लिए अनुकूल बताया है।