क्या गुजरात एटीएस ने पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है?
सारांश
Key Takeaways
- गुजरात एटीएस ने एक बड़े जासूसी रैकेट का भंडाफोड़ किया।
- दो संदिग्ध गिरफ्तार किए गए, जिनका संबंध पाकिस्तान से है।
- संदिग्धों पर गोपनीय सैन्य जानकारी भेजने का आरोप है।
- जांच एजेंसियाँ इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह घटना गंभीर खतरा है।
गांधीनगर, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात एंटी-टेररिज़्म स्क्वॉड (एटीएस) ने एक बड़ा जासूसी रैकेट उजागर करते हुए दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिन पर पाकिस्तान को गोपनीय सैन्य सूचनाएं देने का गंभीर आरोप है।
गिरफ्तार किए गए संदिग्धों में एके सिंह, जो भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत था और गोवा में निवास कर रहा था, शामिल हैं। दूसरी संदिग्ध रश्मणी पाल है, जो दमन की निवासी है। एटीएस ने बताया कि दोनों पाकिस्तानी हैंडलर्स के सीधे संपर्क में थे और उनकी ओर संवेदनशील रक्षा जानकारी भेज रहे थे।
इससे पहले, 21 नवंबर को उत्तर प्रदेश, गुजरात और तेलंगाना एटीएस की संयुक्त कार्रवाई में पकड़े गए आईएसकेपी (इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत) के तीन आतंकियों के कबूलनामे से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। इन आतंकियों के तार भी पाकिस्तान से जुड़े पाए गए थे।
उत्तर प्रदेश के शामली जिले में रहने वाले आतंकी मोहम्मद सुहैल के घर पर यूपी एटीएस की छापेमारी में आईएसआईएस का काला झंडा बरामद हुआ था। इसके अलावा, हैदराबाद के डॉक्टर मोहम्मद इस्हाक उर्फ डॉ. अहमद के घर से डिजिटल सबूत मिले थे।
तफ्तीश में पता चला कि दो महीने पहले सुहैल और तीसरा आतंकी आजाद मिलकर डॉ. अहमद के पास एक पार्सल लेकर पहुंचे थे। उस पार्सल में डेढ़ लाख रुपये नकद थे, जो एक पाकिस्तानी एजेंट के कहने पर भेजा गया था। दूसरा पार्सल भी इन्हीं दोनों ने दिया था, जिसमें हथियार थे। गुजरात एटीएस ने इसी पार्सल के आधार पर डॉ. अहमद को पकड़ा और फिर सुहैल व आजाद तक पहुंची।
तीसरे आतंकी आजाद (जो उत्तर प्रदेश का निवासी है) ने पूछताछ में कबूल किया कि वह किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने के इरादे से कश्मीर के बारामूला गया था। वहां कुछ न मिलने पर निराश होकर लौटा। वापसी में ट्रेन में एक व्यक्ति से मिला और उसके साथ हरिद्वार पहुंच गया। वहां उसने कई मंदिरों की रेकी की थी।
तीनों राज्यों की एटीएस अब इस पूरे नेटवर्क से जुड़े हर व्यक्ति की तलाश में जुटी हुई है। जांच एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान से फंडिंग और हथियारों की आपूर्ति का यह सिलसिला अभी और गहरा हो सकता है।