क्या गुजरात फेफड़ों के कैंसर के इलाज का अग्रणी केंद्र बन गया है?

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में फेफड़ों के कैंसर के उपचार के लिए जीसीआरआई प्रमुख केंद्र है।
- पीएमजेएवाई-एमए योजना ने उपचार को सुलभ बनाया है।
- पिछले पांच वर्षों में 4,397 मरीजों का इलाज किया गया है।
- देर से निदान के कारण 40% से अधिक मामलों में जटिलता होती है।
- उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को शीघ्र जांच की सलाह दी गई है।
गांधीनगर, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत' के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, गुजरात में स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। अहमदाबाद स्थित गुजरात कैंसर एवं अनुसंधान संस्थान (जीसीआरआई) इस दिशा में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। पिछले पांच वर्षों में इस संस्थान ने हजारों फेफड़ों के कैंसर के मरीजों को उन्नत चिकित्सा सेवाएं प्रदान की हैं। इसमें पीएमजेएवाई-एमए योजना का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है।
गुजरात स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभिनव पहलों और निरंतर उन्नति के माध्यम से एक स्वस्थ समाज की ओर बढ़ रहा है, जिससे पूरे देश को लाभ हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने चिकित्सा उत्कृष्टता के लिए विश्वास अर्जित किया है। यह विश्वास पिछले पांच वर्षों में गुजरात में फेफड़ों के कैंसर के उपचार के लिए आने वाले मरीजों की बढ़ती संख्या से स्पष्ट होता है। जीसीआरआई ने 2020 से 2024 के बीच कुल 4,397 फेफड़ों के कैंसर रोगियों का इलाज किया है।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-मां अमृतम (पीएमजेएवाई-एमए) ने गुजरात में फेफड़ों के कैंसर के उपचार को सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले पांच वर्षों में इस योजना के माध्यम से हजारों मरीजों को उन्नत देखभाल मिली है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को राहत मिली है। वित्तीय बोझ कम करने और समय पर उपचार सुनिश्चित करके, इस योजना ने कई लोगों की जान बचाने में मदद की है। उल्लेखनीय है कि राज्य की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से प्रेरित होकर, अन्य राज्यों के 1,426 फेफड़ों के कैंसर के मरीजों ने भी गुजरात में उपचार की इच्छा जताई है। यह बढ़ता विश्वास न केवल गुजरात के लोगों के लिए, बल्कि पूरे भारत के मरीजों के लिए, कैंसर देखभाल के एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में गुजरात के उभरने को दर्शाता है।
जीसीआरआई ने विश्व फेफड़ों के कैंसर दिवस के अवसर पर नागरिकों से फेफड़ों के कैंसर की रोकथाम, शीघ्र पहचान और समय पर इलाज के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया। संस्थान ने बताया कि भारत में 40 प्रतिशत से अधिक फेफड़ों के कैंसर के मामलों का इलाज सीमित जागरूकता के अभाव के कारण देरी से शुरू होता है, जिससे उपचार अधिक जटिल हो जाता है और परिणाम की अनुकूलता कम होती है।
जीसीआरआई ने विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों जैसे लंबे समय से धूम्रपान करने वालों और पर्यावरण प्रदूषकों के संपर्क में रहने वालों से शीघ्र जांच के लिए सीटी स्कैन कराने की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर निदान और त्वरित चिकित्सा हस्तक्षेप से ऐसे मरीजों की जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होता है।
जीसीआरआई के निदेशक डॉ. शशांक पंड्या ने कहा कि फेफड़ों के कैंसर के खिलाफ जागरूकता ही हमारा सबसे बड़ा बचाव है। शीघ्र जांच, तंबाकू छोड़ना और चेतावनी के संकेतों को पहचानना लोगों की जान बचा सकता है। जीसीआरआई में हम प्रत्येक रोगी के लिए अत्याधुनिक निदान और समग्र देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।