क्या जामनगर से नेपाल के नागरिक 3 दिन बाद नेपाल बॉर्डर पहुंचेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल में हिंसा और असुरक्षा की स्थिति
- जामनगर से नेपाल की यात्रा
- नेपाली समुदाय की चिंताएं
- गोरखा समाज का संवेदना
- राजशाही की मांग
जामनगर, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के जामनगर में निवास कर रहे नेपाली समुदाय के लोगों ने नेपाल की वर्तमान स्थिति को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। उनका कहना है कि नेपाल में भ्रष्ट नेताओं का पर्दाफाश होना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन साथ ही हिंसा और निर्दोष लोगों की मौत की घटनाएँ बेहद चिंताजनक हैं।
जामनगर से नेपाल के लिए शुक्रवार को एक बस रवाना हुई है, जो 3 दिन बाद नेपाल बॉर्डर पर पहुंचेगी। ये नेपाली लोग जो पिछले डेढ़ साल से जामनगर में रह रहे थे, अब अपने परिवार से मिलने के लिए जा रहे हैं।
हालांकि, नेपाल के कुछ क्षेत्रों में लगे कर्फ्यू के चलते लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने में कठिनाई हो रही है। जामनगर में रहने वाले नेपाली समुदाय के लोग अपने परिवारों के लिए चिंतित हैं, जो अभी भी नेपाल में हैं। जामनगर में लगभग 21 हजार नेपाली नागरिक निवास करते हैं।
नेपाली नागरिक संतोष सोनी ने कहा कि नेपाल में लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, जबकि जामनगर तथा भारत में रह रहे नेपाली नागरिकों को यहाँ काफी सुरक्षा का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि यहाँ की सरकार से उन्हें निरंतर सहयोग मिल रहा है।
वहीं, ओडिशा के झारसुगुड़ा में रह रहे प्रवासी नेपाली समुदाय के सदस्यों ने भी एकजुट होकर शांति और राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया है। स्थानीय गोरखा समाज के सदस्यों ने एक सभा में प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सभी पक्षों से हिंसा को त्यागकर संवाद की अपील की।
स्थानीय नीतू थापा ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "मैं नेपाली समाज से जुड़ी हुई हूं। देश की राजनीतिक नींव हिल चुकी है, और युवाओं की बढ़ती निराशा ने आंदोलन को हिंसक रूप दे दिया है। नेपाल में जेन-जी द्वारा जो आंदोलन किया जा रहा है, उसके पीछे का कारण सोशल मीडिया का बंद होना था। इसके पीछे का एक मुख्य कारण भ्रष्टाचार भी था।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने इस्तीफा दे दिया है। जेन-जी को आंदोलन के माध्यम से जो करना था, वो कर चुके हैं। हिंसात्मक आंदोलन में कई लोगों की मौत हो चुकी है। देश की संपदा को भारी नुकसान हो रहा है, जो अब रुकना चाहिए। अब जेन-जी को आंदोलन पर रोक लगानी चाहिए।"
गोरखा समाज झारसुगुड़ा के अध्यक्ष चमन गुरुंग ने नेपाल में हुई हिंसा पर दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "हमें बहुत दुख है। नेपाल में ऐसी हिंसात्मक आंदोलन नहीं होनी चाहिए थी। विरोध नेताओं के खिलाफ था, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी। लेकिन राष्ट्र की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए था।"
गुरुंग ने कहा, "अब तक नेपाल में जो हुआ, सो हुआ। अब हम चाहते हैं कि नेपाल में शांति बहाल हो। हम यहाँ पर हैं, जबकि हमारा परिवार वहां पर है। हिंसा में उन्हें नुकसान हो रहा है। प्रधानमंत्री कोई भी बने, लेकिन हमारी मांग है कि वहां पर राजशाही हो। नेपाल हिंदू राष्ट्र बने।