क्या सहकारी बैंक ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों-सखी मंडलों को ऋण देने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे?

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात के मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों से ऋण प्रक्रिया को तेज करने की अपील की।
- राज्य में 2.84 लाख ग्रामीण स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं।
- केंद्र सरकार ने 88,200 समूहों को 1,240 करोड़ रुपए का ऋण देने का लक्ष्य रखा है।
- सहकारी बैंकों को जिला स्तर पर ऋण क्रेडिट शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया गया है।
- महिलाओं को ऋण देने के लिए कार्यशाला शिविर आयोजित करने की आवश्यकता है।
गांधीनगर, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के सहकारी बैंकों से ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों और सखी मंडलों को ऋण उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को सुगम और तीव्र बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने गांधीनगर में सहकारी बैंकों के अध्यक्षों और गुजरात आजीविका संवर्धन कंपनी तथा महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की समीक्षा बैठक में यह अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वयं सहायता समूहों की बहनों को आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध कराने से साकार किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वयं सहायता समूह छोटे व्यवसाय-रोजगार समूह हैं, जिन्हें सहकारी बैंक जितना अधिक ऋण देंगे, वे उतना ही बेहतर कार्य कर सकेंगे।
राज्य में कुल 2.84 लाख ग्रामीण स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनमें 1.76 लाख कृषि, 16,608 विनिर्माण और व्यापार तथा 6,973 अन्य आजीविका गतिविधियों से जुड़े हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार ने इन समूहों को 20 लाख रुपए तक का ऋण देने की व्यवस्था की है।
राज्य सरकार की गुजरात लाइवलीहुड प्रमोशन कंपनी इन समूहों को ऋण प्राप्त करने में सहायता करती है।
केंद्र सरकार ने इस वर्ष 2025-26 में 88,200 स्वयं सहायता समूहों को 1,240 करोड़ रुपए का ऋण देने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 13,000 से अधिक समूहों को ऋण दिया जा चुका है, जैसा कि इस समीक्षा बैठक में बताया गया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों को शीघ्र ऋण उपलब्ध कराने पर चिंता व्यक्त करते हुए सहकारी बैंकों को जिला स्तर पर ऋण क्रेडिट शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए।
उन्होंने संबंधित विभागों से आग्रह किया कि वे आवेदन की त्वरित जांच से लेकर ऋण दिलाने की प्रक्रिया को तेज करें तथा स्वयं सहायता समूहों के प्रति उदारता बरतें। बैठक में इस बात पर प्रारंभिक चर्चा हुई कि इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है।
मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों के अध्यक्षों से विशेष रूप से आग्रह किया कि बहनों को ऋण दिलाने के लिए उचित प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला शिविर आयोजित करना आवश्यक है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी आर्थिक कमाई से परिवार का सहारा बनी रहती हैं, इसलिए यदि उन्हें ऋण दिए जाते हैं तो उनके द्वारा पुनर्भुगतान का आश्वासन मिलता है।
उन्होंने बैठक में यह भी सुझाव दिया कि सहकारी बैंकों के अध्यक्षों और राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों के बीच समीक्षा बैठक हर तीन महीने में नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए। सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने बैंकों के अध्यक्षों को एनआरएलएम मिशन के उद्देश्यों को शीघ्र पूरा करने में सहयोग के लिए सुझाव दिए।