क्या राज्य सरकार गुजरात के वनों और अरावली पहाड़ियों की रक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है? अर्जुनभाई मोढवाडिया

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क्या राज्य सरकार गुजरात के वनों और अरावली पहाड़ियों की रक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है? अर्जुनभाई मोढवाडिया

सारांश

गुजरात के वन मंत्री अर्जुनभाई मोढवाडिया ने अरावली पहाड़ियों के संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों को साझा किया। उन्होंने पुष्टि की कि खनन पर प्रतिबंध रहेगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। क्या गुजरात पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाएगा?

Key Takeaways

  • अरावली पहाड़ियों का संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
  • खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
  • 'अरावली ग्रीन वॉल परियोजना' के तहत पौधारोपण किया जा रहा है।
  • स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाए जा रहे हैं।

गांधीनगर, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अरावली पहाड़ियों के संरक्षण और सतत विकास के प्रति राज्य सरकार के दृढ़ संकल्प को व्यक्त करते हुए गुजरात के वन एवं पर्यावरण मंत्री अर्जुनभाई मोढवाडिया ने कहा कि गुजरात सरकार वन क्षेत्रों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। राज्य के पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में खनन की अनुमति नहीं दी गई है।

राज्य सरकार ने अरावली पर्वत श्रृंखला और गुजरात के विभिन्न जिलों में फैले इसके वन क्षेत्रों में कभी भी खनन की अनुमति नहीं दी है और भविष्य में भी खनन गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी।

मंत्री अर्जुनभाई मोढवाडिया ने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार, गुजरात सरकार अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा और संरक्षण के सभी पहलुओं को लागू कर रही है। इसके अनुसार, स्थानीय स्तर से १०० मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाले सभी भू-आकृतियों को 'पर्वत' के रूप में परिभाषित किया गया है, ताकि कोई कानूनी खामी न रहे। इसके अतिरिक्त, १०० मीटर से अधिक ऊँचाई वाले दो या दो से अधिक पर्वतों के बीच ५०० मीटर तक के सभी क्षेत्रों को भी अरावली पर्वत श्रृंखला का हिस्सा माना जाएगा।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि गुजरात सरकार राज्य के संरक्षित क्षेत्रों, पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों, आरक्षित क्षेत्रों, आर्द्रभूमि और कैम्पा वृक्षारोपण स्थलों जैसे 'अभेद्य' क्षेत्रों में खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाएगी। राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण करना है, ताकि आने वाली पीढ़ी को एक सुरक्षित और हरा-भरा गुजरात मिल सके। अरावली पर्वत श्रृंखला मात्र पत्थरों का ढेर नहीं है, बल्कि यह रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोकने वाली एक प्राकृतिक बाधा के रूप में कार्य करती है और भूजल पुनर्भरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

'अरावली ग्रीन वॉल परियोजना' का जिक्र करते हुए मंत्री अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि इस परियोजना के तहत गुजरात के साबरकांठा, अरावली, बनासकांठा, मेहसाना, महिसागर, दाहोद और पंचमहल जिलों में कुल ३,२५,५११ हेक्टेयर वन क्षेत्र को शामिल किया गया है। इसमें से २०२५-२६ के दौरान ४,४२६ हेक्टेयर क्षेत्र में स्थानीय प्रजातियों के ८६.८४ लाख पौधे लगाए गए हैं ताकि हरित आवरण को बढ़ाया जा सके।

इसके अलावा, गंडा बबूल और लैंटाना जैसे आक्रामक पौधों को १५० हेक्टेयर क्षेत्र से हटाया गया है। मंत्री ने आगे बताया कि इस परियोजना के तहत अगले वर्ष २०२६-२७ के दौरान लगभग ४,८९० हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण और संरक्षण कार्य किया जाएगा।

Point of View

बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक आवश्यक कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित पर्यावरण बनाया जा सके।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या अरावली पहाड़ियों में खनन की अनुमति है?
नहीं, गुजरात सरकार ने अरावली पहाड़ियों में खनन की अनुमति नहीं दी है और भविष्य में भी नहीं देगी।
अरावली ग्रीन वॉल परियोजना क्या है?
यह परियोजना गुजरात के विभिन्न जिलों में ३,२५,५११ हेक्टेयर वन क्षेत्र को शामिल करते हुए हरित आवरण बढ़ाने का कार्य करती है।
राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण करना है।
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