क्या गजराज की मौत के पीछे छिपी है बिजली की करंट की सच्चाई? : झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में 35 दिन में चार हाथियों की हुई मौत

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में हाथियों की मौत की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- बिजली का करंट एक मुख्य कारण है।
- स्थानीय समुदायों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
- सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
- वन्यजीव संरक्षण के लिए सक्रियता बढ़ाने की जरुरत है।
रांची, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के जंगल, जो कभी हाथियों के लिए सुरक्षित ठिकाना माने जाते थे, अब उनके लिए मौत की वादियों में बदल चुके हैं। पिछले 35 दिनों में इस क्षेत्र में चार हाथियों ने कष्ट सहते हुए दम तोड़ दिया है।
हालिया घटना पश्चिम सिंहभूम जिले की सेरेंगसिया घाटी में हुई, जहां गुरुवार को एक जंगली हाथी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। स्थानीय निवासी मानते हैं कि हाथी की मौत बिजली का करंट लगने से हुई है।
वन प्रमंडल पदाधिकारी आदित्य नारायण ने बताया कि हमें गुरुवार को घाटी में एक हाथी का शव मिलने की सूचना मिली। विभाग की मेडिकल टीम तुरंत मौके पर पहुंची और शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही हाथी की मौत का कारण स्पष्ट होगा।
इससे पहले 5 जुलाई को सारंडा जंगल में एक हाथी की मौत हुई थी। नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी के विस्फोट से घायल हुए छह साल के हाथी ने दम तोड़ दिया।
सारंडा के आसपास के लोग इस हाथी को ‘गडरू’ नाम से पुकारते थे। यह हाथी 24 जून को विस्फोट में घायल हुआ था और इसके बाद बेबस हो गया था। वन विभाग ने ड्रोन से उसका स्थान ट्रैक किया था। गुजरात की संस्था ‘वनतारा’ की मेडिकल रेस्क्यू टीम ने 5 जुलाई को घायल हाथी का उपचार शुरू किया था, लेकिन वह कुछ ही घंटों में दम तोड़ दिया।
सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल वन क्षेत्र में 24 जून की रात एक मादा हाथी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। एक हफ्ते बाद आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत करंट लगने से होने की पुष्टि हुई। जांच में पता चला कि एक व्यक्ति ने फसल को बचाने के लिए बिजली का करंट दौड़ाया था।
5 जून को भी इसी वन क्षेत्र में आमबेड़ा के पास एक हाथी मृत पाया गया था। अब तक इसकी मौत का कारण ज्ञात नहीं हो पाया है। कोल्हान क्षेत्र में पिछले तीन सालों में अलग-अलग कारणों से लगभग डेढ़ दर्जन हाथियों की मौत हो चुकी है।
2023 के नवंबर में पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल में बिजली का करंट लगने से पांच हाथियों की मौत हुई थी। 2024 के जुलाई में बहरागोड़ा प्रखंड में एक हथिनी का शव मिला था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बताया कि भारत में पिछले पांच वर्षों में अप्राकृतिक कारणों से 528 हाथियों की मौत हुई थी, जिनमें झारखंड में 30 हाथियों की करंट लगने से मौत हुई है।