क्या गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का आशीर्वाद मांगा गया?

सारांश
Key Takeaways
- गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हमारे गुरुओं के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर देता है।
- तरुण चुघ ने अमृतसर में पूजा अर्चना की और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का आशीर्वाद मांगा।
- भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर तुल्य माना जाता है।
- धार्मिक स्थलों का संरक्षण और विकास प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकता है।
अमृतसर, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पूरे देश में गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर पंजाब के अमृतसर में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तरुण चुघ ने कहा कि हमने अपने गुरुओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित और सशक्त भारत का आशीर्वाद प्राप्त किया।
तरुण चुघ ने गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर अमृतसर स्थित ऐतिहासिक दुर्गियाना मंदिर जाकर प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना की तथा देशवासियों के कल्याण और विश्व शांति की कामना की। उन्होंने मंदिर के महंत से आशीर्वाद लिया और उन्हें शॉल भेंट कर सम्मानित किया।
चुघ ने कहा कि गुरु जीवन के मार्गदर्शक होते हैं, जो हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान और सेवा के मार्ग पर ले जाते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर तुल्य माना गया है। यही परंपरा आज भी हमें संस्कारों से जोड़ती है।
तरुण चुघ ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि आज गुरु पूजा का उत्सव है। पूरे देश में भारतीय अपने गुरुओं का पूजन कर रहे हैं। यह हमारे देश की हजारों साल पुरानी परंपरा है। अमृतसर एक पवित्र नगरी है, जहां अनेक प्राचीन मंदिर हैं। मंदिरों के पुजारियों, महंतों को बुलाकर हमने उनका पूजन किया और आशीर्वाद लिया। हमने पुजारियों से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित और सशक्त भारत का आशीर्वाद मांगा।
चुघ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘प्रसाद योजना’ के अंतर्गत इस पवित्र धाम का व्यापक विकास किया जा रहा है। आने वाले समय में और भी विकास कार्य प्रस्तावित हैं। प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकता भारत के मंदिरों, गुरुद्वारों और धार्मिक स्थलों को न केवल संरक्षित करना है, बल्कि उन्हें आधुनिक सुविधाओं से युक्त भी बनाना है, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिल सके। ऐसे पवित्र स्थलों से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है और यह भारत की सांस्कृतिक चेतना को मजबूत करने में सहायक होते हैं।