क्या गुरु तेग बहादुर ने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया?

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क्या गुरु तेग बहादुर ने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया?

सारांश

गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस मनाते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनकी अदम्य साहस और बलिदान को याद किया। जानिए इस महत्वपूर्ण दिन की खास बातें और गुरु जी के योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस
  • धर्म और मानवता की रक्षा के लिए बलिदान
  • उत्तराखंड सरकार का विकास कार्य
  • प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखंड के प्रति ध्यान
  • गुरु जी का योगदान और प्रेरणा

देहरादून, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। इस साल पूरे देश में गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। यह भारतीय इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उन्होंने कभी झुकने या रुकने का साहस नहीं किया।

मुख्यमंत्री धामी ने चारधाम यात्रा के संबंध में भी बताया कि इसे सुव्यवस्थित करने की दिशा में कार्य चल रहा है।

उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा उत्तराखंड का विकास किया है। इसी संदर्भ में सरकारी सहायता के तहत मिलने वाले फंड को अब 2,500 करोड़ से बढ़ाकर 3,500 करोड़ रुपए किया जा रहा है। इससे विकास कार्यों को और मजबूती मिलेगी। खनन के क्षेत्र में सभी मानकों को पूरा करते हुए अच्छा काम करने के लिए हमें पहला और दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह निश्चित रूप से हमारे लिए प्रोत्साहन है। इस प्रोत्साहन से हम और तेजी से कार्य करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी का विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए उत्तराखंड तेजी से आगे बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का आहुति देने वाले सिख पंथ के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर कोटिशः नमन।"

उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, "आपका अदम्य साहस, अटल निष्ठा और धर्म के प्रति आपका अप्रतिम समर्पण हम सभी को सत्य, साहस और कर्तव्य के पथ पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।"

यह उल्लेखनीय है कि गुरु तेग बहादुर जी को ‘हिंद की चादर’ के रूप में भी जाना जाता है। वह सिख धर्म के नौवें गुरु थे और 1665 से 1675 में अपने सर्वोच्च बलिदान तक उन्होंने सिख समुदाय का मार्गदर्शन किया। वह गुरु हरगोबिंद जी के सबसे छोटे पुत्र थे।

Point of View

बल्कि यह आज भी हमें प्रेरित करता है। देश की एकता और अखंडता के लिए उनके बलिदान की याद हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग बनाती है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि सच्चाई और धर्म के लिए लड़ाई कभी खत्म नहीं होती।
NationPress
25/11/2025

Frequently Asked Questions

गुरु तेग बहादुर जी का जन्म कब हुआ?
गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 1 अप्रैल 1621 को हुआ था।
गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान किस कारण हुआ?
गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
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