क्या हल्द्वानी में बनभूलपुरा अतिक्रमण विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज आएगा?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज सुनाया जाएगा।
- बनभूलपुरा को जीरो जोन घोषित किया गया है।
- कानूनी प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
- सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
- सीसीटीवी निगरानी बढ़ाई गई है।
हल्द्वानी, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे से जुड़े अतिक्रमण मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण निर्णय सुनाने जा रहा है। लगभग 29 एकड़ रेलवे भूमि पर कब्जा करने को लेकर चल रही कानूनी प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में पहुँच गई है।
देशभर की नजरें इस फैसले पर हैं, क्योंकि यह न केवल स्थानीय निवासियों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि रेलवे भूमि प्रबंधन और अतिक्रमण से संबंधित मामलों में एक महत्वपूर्ण मिसाल भी स्थापित कर सकता है।
निर्णय से पहले नैनीताल जिला प्रशासन और पुलिस पूरी तरह से अलर्ट हैं। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए आरपीएफ, रेलवे पुलिस, पीएसी, पैरामिलिट्री फोर्स और उत्तराखंड पुलिस को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, सभी बलों को एलएमजी जैसे आधुनिक हथियारों से लैस किया गया है ताकि कानून-व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।
सुबह 8 बजे से लेकर रात 10 बजे तक पूरे बनभूलपुरा क्षेत्र में सख्त पाबंदियां लागू की गई हैं। इस दौरान लोगों की आवाजाही पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। पुलिस क्षेत्र में डोमिनेशन बढ़ाने के लिए लगातार फ्लैग मार्च कर रही है। शहर में सुरक्षा स्थिति सामान्य बने रखने के लिए चौक-चौराहों पर भारी पुलिस बल तैनात है। प्रशासन ने बनभूलपुरा को 'जीरो जोन' घोषित कर दिया है, जहां किसी भी प्रकार की भीड़, सभा या अनधिकृत गतिविधियों पर रोक है।
सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। संवेदनशील स्थलों पर सघन चेकिंग, बैरिकेडिंग, पेट्रोलिंग और फ्लैग मार्च को बढ़ाने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही बीडीएस टीमों ने पूरे क्षेत्र में बम जांच और एंटी-सबोटाज ऑपरेशन शुरू कर दिए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति को टाला जा सके।
सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए सीसीटीवी निगरानी का दायरा भी बढ़ा दिया गया है। बनभूलपुरा के गफूर बस्ती, लाइन नंबर 17 और आस-पास की गलियों में लगभग 45 कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी लाइव मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम से की जा रही है। पिछली बार की हिंसा में कुछ कैमरे क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिन्हें मरम्मत कर फिर से सक्रिय कर दिया गया है। रेलवे ने भी अपने परिसर और ट्रैक के पास लगभग 25 कैमरे लगाए हैं, ताकि स्टेशन और उसके आसपास की सुरक्षा पर कड़ी नजर रखी जा सके।