क्या हम कभी हिंसा के समर्थक रहे हैं?: दोरजे लाक्रूक

सारांश
Key Takeaways
- दोरजे लाक्रूक का कहना है कि हम हिंसा के समर्थक नहीं हैं।
- बेरोजगारी और कुंठा हिंसा के मुख्य कारण हैं।
- सरकार को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।
- एनआईए से जांच कराने की मांग को खारिज किया गया है।
लेह, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एलबीए के प्रमुख दोरजे लाक्रूक ने शुक्रवार को लेह में हुई हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त किया।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हमारे लोग कभी भी हिंसा के पक्षधर नहीं रहे हैं। हालाँकि, यह भी सच है कि हमारे बेरोजगार युवाओं की कुंठा अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच चुकी थी। जैसे एक प्रेशर कुकर एक समय के बाद फट जाता है, ठीक उसी प्रकार हमारे बेरोजगार युवाओं का गुस्सा भी फट गया।
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लेह में शांति की अपील पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल राहुल गांधी ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों को भी लेह में शांति की अपील करनी चाहिए। मैं हमेशा से हिंसा का विरोधी रहा हूँ। हम लंबे समय से शांतिपूर्वक तरीके से अपनी मांगें रख रहे थे, लेकिन यह दुखद है कि लेह में स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी पर हिंसा का आरोप लगाकर सरकार अपनी विफलता को छुपाने की कोशिश कर रही है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को अपनी जिम्मेदारी तय करनी चाहिए और इससे भाग नहीं सकता।
जब विदेशी शक्तियों के इस हिंसा में शामिल होने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है, तो सरकार क्या कर रही है? उन्हें अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए। मैं फिर से कहता हूँ कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने इस हिंसा को हाल ही में नेपाल में हुए ‘जेनजी’ विरोध प्रदर्शन से जोड़ने पर कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
लेह हिंसा की जांच एनआईए से कराने की मांग को उन्होंने ठुकरा दिया। उनका कहना था कि यह कोई आतंकवादी घटना नहीं है। अगर एनआईए से जांच कराई जाती है, तो यह लेह के लोगों को बदनाम करने का प्रयास होगा, जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते।