क्या हरीश रावत ने नई जीएसटी दरों की सराहना की और कहा- 'यह सुधार पहले होना चाहिए था'?

सारांश
Key Takeaways
- नई जीएसटी दरें अर्थव्यवस्था को गति देंगी।
- हरीश रावत का जीएसटी सुधारों पर सकारात्मक दृष्टिकोण।
- स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की आवश्यकता।
- उपभोक्ता मांग को बढ़ाने में मददगार।
- सरकार को पारदर्शिता पर ध्यान देना चाहिए।
देहरादून, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रमुख नेता हरीश रावत ने हाल ही में घोषित जीएसटी की नई दरों का स्वागत किया है। उन्होंने इसे अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम बताया, लेकिन यह भी कहा कि यह सुधार पहले ही हो जाना चाहिए था।
रावत ने कहा कि कांग्रेस ने जीएसटी के स्लैब को हमेशा गलत बताया है, क्योंकि ये न केवल अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे थे, बल्कि आम उपभोक्ताओं पर भी अनावश्यक दबाव डाल रहे थे।
उन्होंने कहा, "हमने उस समय भी कहा था कि जीएसटी की दरें और स्लैब गलत निर्धारित किए गए हैं। इससे अर्थव्यवस्था 'स्ट्रैंगुलेट' हो रही थी और आम उपभोक्ता पर बोझ बढ़ रहा था। हमारे नेता ने इसे 'गब्बर सिंह टैक्स' का नाम दिया था, क्योंकि यह वर्षों तक लोगों को लूटता रहा।"
उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा, खासकर अमेरिका के टैरिफ के जवाब में, सरकार ने जीएसटी सुधारों की आवश्यकता को समझा। यह कदम उपभोक्ता मांग को बढ़ाने, उत्पादन को प्रोत्साहित करने और अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद करेगा।
हरीश रावत ने जीएसटी सुधारों को सही दिशा में उठाया गया कदम बताते हुए उम्मीद जताई कि इसके सकारात्मक प्रभाव दिखाई देंगे।
उन्होंने कहा, "जब मांग बढ़ेगी, खरीदने की क्षमता बढ़ेगी तो उपभोग बढ़ेगा। उपभोग बढ़ने से उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।" इसके साथ ही, रावत ने 'वोकल फॉर लोकल' अभियान पर भी बात की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की वकालत की है। हम पहले से ही 'वोकल फॉर लोकल' के समर्थक रहे हैं। स्थानीय उत्पाद सर्वोत्तम हैं और हम इन्हें प्रमोट करते आए हैं। अब जब प्रधानमंत्री मोदी भी इसे दोहरा रहे हैं तो यह बहुत अच्छा लग रहा है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि यह छोटे और मध्यम उद्यमियों को भी सशक्त बनाएगा।
हरीश रावत ने सरकार से अपील की कि जीएसटी सुधारों के साथ-साथ स्थानीय उत्पादकों को और अधिक प्रोत्साहन दिया जाए, ताकि आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि इन सुधारों का प्रभाव तभी पूरी तरह दिखेगा, जब इन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। उन्होंने सरकार से पारदर्शिता और समावेशी नीतियों पर ध्यान देने का आग्रह किया, ताकि आम उपभोक्ता और छोटे व्यवसायी इसका अधिकतम लाभ उठा सकें।