क्या पीएम मोदी की सोच विधायी संस्थाओं को सशक्त बनाना है?

सारांश
Key Takeaways
- विधायी संस्थाएं सशक्त होनी चाहिए।
- आमजन में जागरूकता आवश्यक है।
- संविधान के 74वें संशोधन पर चर्चा हुई।
- 'वन नेशन-वन म्युनिसिपालिटी' का समर्थन किया गया।
- विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।
करनाल, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय महापौर परिषद की 53वीं वार्षिक साधारण सभा की बैठक के दूसरे दिन हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि विधायी संस्थाएं सशक्त होनी चाहिए और इसके लिए आमजन में इनके प्रति जागरूकता आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में पटना में आयोजित ऑल इंडिया स्पीकर कॉन्फ्रेंस में संवैधानिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसे लागू करने की दिशा में कार्य प्रारंभ हो चुका है। मानेसर में आयोजित शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों का सम्मेलन इसी प्रयास का हिस्सा था। भविष्य में भी प्रदेशभर में ऐसे आयोजन होंगे, जिनकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।
हरविंदर कल्याण ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने बजट सत्र में घोषणा की थी कि लोकसभा से प्राप्त विषयों को हरियाणा विधानसभा आगे बढ़ाएगी और इसमें राज्य सरकार पूरा सहयोग देगी।
उन्होंने करनाल की मेयर रेनू बाला गुप्ता को महापौर परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर बधाई दी।
उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय बैठक में नए प्रोजेक्ट्स, बेहतर व्यवस्थाओं और कार्यों पर चर्चा हुई। संविधान के 74वें संशोधन पर बात की गई, जिसकी शुरुआत कुछ राज्यों में हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में साढ़े नौ साल तक प्रदेश को प्रगति के पथ पर ले गए। उन्होंने थ्री-टियर सिस्टम को मजबूत करने, मेयर के सीधे चुनाव और पढ़ी-लिखी पंचायतों जैसे निर्णय लिए, जो देश के लिए प्रेरणादायक बने।
हरविंदर कल्याण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना है कि न केवल लोकसभा और विधानसभा, बल्कि नगर निकाय और पंचायती राज संस्थाएं भी सशक्त हों। इनमें सार्थक चर्चा, प्रभावी प्लानिंग और बेहतर समाधान निकलने चाहिए।
उन्होंने 'वन नेशन-वन म्युनिसिपालिटी' की अवधारणा पर जोर देते हुए कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में हो रहे अच्छे कार्यों की जानकारी साझा होनी चाहिए। इससे नवाचारों को अपनाकर लोकहित के कार्य किए जा सकते हैं।
उन्होंने वन नेशन-वन इलेक्शन की बात को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे धन की बचत होगी और आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।