क्या हरियाणा में ईडी की कार्रवाई ने अंसल प्रॉपर्टीज की 10.55 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर दी?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने 10.55 करोड़ की संपत्तियाँ कुर्क कीं।
- यह कार्रवाई पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन से संबंधित है।
- अंसल प्रॉपर्टीज पर गंभीर आरोप लगे हैं।
गुरुग्राम, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए 10.55 करोड़ रुपए मूल्य की छह अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। ये संपत्तियाँ गुरुग्राम (हरियाणा), ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) और लुधियाना (पंजाब) में स्थित हैं।
ईडी ने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियाँ आरोपी कंपनी मेसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एपीआईएल) के निदेशकों, शेयरधारकों, और लाभार्थियों सुशील अंसल, प्रणव अंसल एंड सन्स एचयूएफ और कुसुम अंसल के स्वामित्व में हैं।
यह कार्रवाई जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के उल्लंघन से जुड़े धन शोधन मामले में की गई है।
एचएसपीसीबी (हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने दोनों अधिनियमों के तहत अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, जिसके आधार पर ईडी ने जांच शुरू की।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि एपीआईएल ने अपनी दो प्रमुख रियल एस्टेट परियोजनाओं, सुशांत लोक फेज-I और एसेंसिया, में पर्यावरणीय मानदंडों का पालन नहीं किया।
ईडी की जांच में यह सामने आया कि ‘सुशांत लोक फेज-I’ परियोजना में कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित नहीं किया गया था और अपशिष्ट जल को सीधे हुडा सीवरेज लाइन से गुजारा गया। वहीं, ‘एसेंसिया’ परियोजना में लगाया गया एसटीपी क्षमता में अपर्याप्त पाया गया। एचएसपीसीबी के निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि स्थापित एसटीपी बिना संचालन और रखरखाव के परित्यक्त (छोड़े हुए) पड़े थे।
जांच में पाया गया कि कंपनी ने घरेलू अपशिष्ट और अनुपचारित सीवेज जल का मानकों के अनुसार उपचार नहीं किया। इससे एक ओर जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा, जबकि दूसरी ओर कंपनी के प्रवर्तकों ने 10.55 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ कमाया। ईडी ने इसे अपराध की आय करार दिया है।
इससे पहले मंगलवार को ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत कथित तौर पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा अवैध रूप से धन को विदेश भेजने की जांच को लेकर इंदौर और मुंबई में छह ठिकानों पर छापेमारी की थी।