क्या आगरा में सीआईपी का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जाएगा?

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क्या आगरा में सीआईपी का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जाएगा?

सारांश

आगरा में सीआईपी का नया केंद्र खाद्य सुरक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगा। इस केंद्र के माध्यम से आलू और शकरकंद की उत्पादकता में सुधार होगा। क्या यह भारतीय कृषि में एक नई दिशा देगा?

Key Takeaways

  • आगरा में सीआईपी का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जाएगा।
  • ये केंद्र आलू और शकरकंद की उत्पादकता में सुधार करेगा।
  • किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
  • भारत 2050 तक शीर्ष आलू उत्पादक बन सकता है।
  • आलू उद्योग में सुधार के लिए भंडारण और परिवहन पर ध्यान दिया जाएगा।

नई दिल्ली, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के आगरा में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (सीएसएआरसी) की स्थापना के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

इस निवेश का मुख्य उद्देश्य आलू और शकरकंद की उत्पादकता, कटाई के बाद प्रबंधन और वैल्यू एडिशन में सुधार कर खाद्य और पोषण सुरक्षा, किसानों की आय और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।

भारत के आलू क्षेत्र में उत्पादन क्षेत्र, प्रोसेसिंग सेक्टर, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग वैल्यू चेन में महत्वपूर्ण रोजगार अवसर पैदा करने की क्षमता है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं का दोहन करने और उन्हें तलाशने के लिए, आगरा के सिंगना में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

बयान में बताया गया कि सीएसएआरसी द्वारा विकसित आलू और शकरकंद की उच्च उपज देने वाली, पोषक तत्वों से भरपूर और जलवायु अनुकूल किस्में विश्वस्तरीय विज्ञान और नवाचार के माध्यम से न केवल भारत में बल्कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में भी आलू और शकरकंद क्षेत्रों के सस्टेनेबल डेवलपमेंट को महत्वपूर्ण रूप से गति प्रदान करेंगी।

इस बीच, देश में आलू के नए उपयोग खोजने के लिए अनुसंधान चल रही है, जिसमें आईआईटी बीएचयू आलू के छिलकों से बायो-इथेनॉल उत्पादन की विधि विकसित कर रहा है, जिससे भारत को कच्चे तेल के आयात पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है।

वैज्ञानिक कुफरी नीलकंठ जैसी नई आलू किस्मों पर भी काम कर रहे हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हैं।

सीआईपी के वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत २०५० तक दुनिया का शीर्ष आलू उत्पादक बन जाएगा, जो संभावित रूप से चीन को पीछे छोड़ देगा। देश का वार्षिक उत्पादन १०० मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।

अमूल जर्मनी को निर्यात करने के लिए प्रयागराज में आलू के बीज तैयार कर रहा है। उत्तर प्रदेश ने पहली बार गुयाना को आलू निर्यात किया है।

आलू उद्योग को भंडारण, परिवहन और संभावित कीट और रोग प्रबंधन से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि आलू का वैश्विक स्तर पर तेजी से व्यापार हो रहा है।

नुकसान को कम करने और निरंतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आलू के भंडारण में सुधार पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

Point of View

बल्कि यह खाद्य सुरक्षा में भी योगदान देगा। यह केंद्र भारतीय कृषि को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

सीआईपी का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र कब स्थापित किया जाएगा?
आगरा में सीआईपी का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र जल्द ही स्थापित किया जाएगा।
इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य आलू और शकरकंद की उत्पादकता में सुधार करना और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
क्या भारत 2050 तक आलू का सबसे बड़ा उत्पादक बन सकता है?
हाँ, सीआईपी के वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत 2050 तक दुनिया का शीर्ष आलू उत्पादक बनने की संभावना बना रहा है।