क्या अप्रैल में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़कर 8.8 बिलियन डॉलर पहुंचा?

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क्या अप्रैल में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़कर 8.8 बिलियन डॉलर पहुंचा?

सारांश

इस साल अप्रैल में भारत का एफडीआई प्रवाह 8.8 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। जानिए इससे अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा और किन क्षेत्रों ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Key Takeaways

  • अप्रैल में एफडीआई प्रवाह 8.8 बिलियन डॉलर तक पहुँचा।
  • विनिर्माण और व्यावसायिक सेवाएं प्रमुख क्षेत्र हैं।
  • भारत एफडीआई में वैश्विक स्तर पर 16वें स्थान पर है।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था में ग्रीनफील्ड निवेश 114 बिलियन डॉलर है।
  • एनआरआई जमा राशि 165.43 बिलियन डॉलर हो गई।

मुंबई, २५ जून (राष्ट्र प्रेस) इस वर्ष के अप्रैल माह में भारत में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह 8.8 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो मार्च में 5.9 बिलियन डॉलर और अप्रैल 2024 में 7.2 बिलियन डॉलर से अधिक है। यह जानकारी बुधवार को जारी किए गए आरबीआई के मासिक बुलेटिन में साझा की गई।

इस महीने में सकल एफडीआई प्रवाह में विनिर्माण और व्यावसायिक सेवाओं की हिस्सेदारी लगभग आधी रही।

बुलेटिन के अनुसार, भारत एफडीआई प्रवाह में वैश्विक स्तर पर 16वें स्थान पर है और पिछले पांच वर्षों (2020-2024) में डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में ग्रीनफील्ड निवेश 114 बिलियन डॉलर रहा है, जो कि ग्लोबल साउथ के सभी देशों में सबसे अधिक है।

मई 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) का शुद्ध प्रवाह 1.7 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया, जो मुख्यतः इक्विटी सेगमेंट द्वारा संचालित था।

भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध विराम और 2024-25 की चौथी तिमाही में अपेक्षा से बेहतर कॉर्पोरेट परिणामों के कारण लगातार तीसरे महीने इक्विटी में तेजी आई। इससे निवेशकों की धारणा में सुधार हुआ और दूरसंचार, सेवाएं और पूंजीगत सामान शीर्ष प्राप्तकर्ता क्षेत्रों के रूप में उभरे हैं।

बुलेटिन के अनुसार, पिछले महीने में निकासी का अनुभव करने वाले डेट सेगमेंट में मई में शुद्ध निकासी में ठहराव देखा गया, जबकि भारतीय और अमेरिकी सरकारी बॉंड के बीच यील्ड अंतर महीने के अधिकांश समय 2 प्रतिशत से नीचे रहा।

इस वर्ष अप्रैल के दौरान एनआरआई जमा राशि 165.43 बिलियन डॉलर हो गई, जो पिछले वर्ष के इसी महीने में 164.68 बिलियन डॉलर थी।

आरबीआई ने बताया कि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि ने रुपए को मजबूत करने में मदद की है और यह एक मजबूत बाहरी संतुलन स्थिति को दर्शाता है, जो देश के 11 महीने से अधिक के निर्यात को फंड करने के लिए पर्याप्त है।

बुलेटिन में कहा गया है, "अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया (आईएनआर) में मासिक आधार पर 0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मई 2025 के दौरान इसमें कम अस्थिरता देखी गई।"

Point of View

जो वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही है। यह न केवल रोजगार सृजन में मदद करेगा, बल्कि भारतीय बाजार की स्थिरता को भी बढ़ाएगा।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

भारत में एफडीआई क्या है?
एफडीआई का अर्थ है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, जिसमें विदेशी कंपनियाँ या व्यक्ति भारत की कंपनियों में पूंजी निवेश करते हैं।
भारत में एफडीआई प्रवाह में वृद्धि का क्या कारण है?
भारत में एफडीआई प्रवाह में वृद्धि का कारण वैश्विक स्तर पर निवेशकों का विश्वास और भारतीय अर्थव्यवस्था का स्थिर विकास है।
कौन से क्षेत्र एफडीआई में अधिक योगदान दे रहे हैं?
विनिर्माण और व्यावसायिक सेवाएं एफडीआई में सबसे अधिक योगदान दे रहे हैं।
क्या एफडीआई का प्रवाह भारतीय मुद्रा को प्रभावित करता है?
हाँ, एफडीआई का प्रवाह भारतीय मुद्रा की मजबूती को प्रभावित करता है।
क्या यह वृद्धि स्थायी है?
यदि भारत की आर्थिक नीतियां और वातावरण सकारात्मक रहते हैं, तो यह वृद्धि स्थायी हो सकती है।