क्या फेस्टिव सीजन में रिकॉर्ड 5.40 लाख करोड़ रुपए की बिक्री हुई? जीएसटी सुधार से उपभोक्ता मांग में दिखा सुधार

सारांश
Key Takeaways
- फेस्टिव सीजन में बिक्री 5.40 लाख करोड़ रुपए पर पहुंची।
- जीएसटी सुधारों ने उपभोक्ता मांग को बढ़ाया।
- रिटेल में 85% हिस्सेदारी रही।
- 50 लाख अस्थायी रोजगार की संभावना।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्रय शक्ति का महत्व।
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि से लेकर दीपावली तक चलने वाले फेस्टिव सीजन के दौरान गुड्स की बिक्री ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित करते हुए 5.40 लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर लिया है। इस अवधि में लगभग 65,000 करोड़ रुपए की सेवाएँ भी ग्राहकों द्वारा खरीदी गई हैं। यह जानकारी उद्योग द्वारा जारी आंकड़ों में प्रस्तुत की गई है।
यह आंकड़ा देश के फेस्टिव सीजन के इतिहास में बिक्री का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) की रिसर्च विंग, कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी के मुताबिक, यह पिछले साल नवरात्रि से दीपावली के बीच हुई 4.25 लाख करोड़ रुपए की बिक्री के मुकाबले 25 प्रतिशत अधिक है।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि रिटेल की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत रही है। ऑफलाइन मार्केट में भी मांग ने जोर पकड़ा है।
मुख्य उपभोक्ता और खुदरा श्रेणियों जैसे कि कन्फेक्शनरी, होम डेकोर, जूते-चप्पल, रेडीमेड कपड़े, टिकाऊ उपभोक्ता सामान और दैनिक उपयोग की वस्तुओं में जीएसटी दरों में कमी ने मूल्य प्रतिस्पर्धा को काफी सुधारने में मदद की, जिससे खरीदारी में वृद्धि हुई है।
सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 72 प्रतिशत व्यापारियों ने बताया कि उनकी बिक्री में वृद्धि सीधे तौर पर जीएसटी में कमी के कारण हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, दीपावली के व्यापार में उछाल से लॉजिस्टिक्स, परिवहन, खुदरा सहायता, पैकेजिंग और डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में लगभग 50 लाख लोगों के लिए अस्थायी रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है।
बढ़ती ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्रय शक्ति ने कुल बिक्री में लगभग 28 प्रतिशत का योगदान दिया, यह दर्शाता है कि देश में मांग व्यापक स्तर पर बनी हुई है।
कैट ने कहा, "2025 की दीपावली भारत की खुदरा और व्यापारिक अर्थव्यवस्था में एक नया मानदंड स्थापित करेगी, जो परंपरा, तकनीक और भारतीय उद्यम में विश्वास का प्रतीक है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष की दीपावली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक प्रमुख मील का पत्थर है।