क्या पुलिस कस्टडी में उत्पीड़न का मामला: केरल कांग्रेस का विरोध, 4 पुलिस कर्मियों का निलंबन तय?

सारांश
Key Takeaways
- पुलिस द्वारा उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा है।
- सीसीटीवी फुटेज से मामले में नया मोड़ आया है।
- केरल कांग्रेस ने विरोध किया है।
- चार पुलिस कर्मियों का निलंबन लगभग तय है।
- सामाजिक न्याय और मानवाधिकार की रक्षा आवश्यक है।
तिरुवनंतपुरम, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 2023 में युवा कांग्रेस नेता सुजीत को कुन्नमकुलम पुलिस स्टेशन में पीटा गया था। हाल ही में प्राप्त सीसीटीवी फुटेज के आधार पर केरल कांग्रेस ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इसके परिणामस्वरूप चार पुलिस कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई लगभग सुनिश्चित मानी जा रही है।
त्रिशूर रेंज के डीआईजी हरिशंकर ने उत्तरी क्षेत्र के आईजी को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें चार अधिकारियों के निलंबन की सिफारिश की गई है। इनमें एसआई नुहमान, सीपीओ शशिधरन, संदीप और सजीवन शामिल हैं।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि चारों के खिलाफ पहले से ही एक आपराधिक मामला दर्ज किया जा चुका है, इसलिए उन्हें सेवा से निलंबित किया जाना चाहिए।
इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि अब तक की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई की समीक्षा की जानी चाहिए।
निलंबन के आदेश एक दिन के भीतर जारी होने की उम्मीद है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत कुछ सीसीटीवी फुटेज प्राप्त की गईं, जो सभी 5 अप्रैल 2023 की हैं। इन दृश्यों में कुन्नमकुलम पुलिस स्टेशन के अंदर चोवन्नूर युवा कांग्रेस मंडलम के अध्यक्ष सुजीत को पुलिसकर्मी बेरहमी से पीटते हुए देखा जा सकता है।
कथित तौर पर, उन्होंने उन पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की थी जो सड़क किनारे खड़े उनके दोस्तों को धमका रहे थे, जिससे सब-इंस्पेक्टर नुहमान नाराज हो गए थे।
फुटेज के अनुसार, सुजीत को पुलिस जीप में खींचकर ले जाया गया और उसकी कमीज जबरन उतारकर थाने ले जाया गया।
अंदर पहुंचते ही, तीन से ज्यादा पुलिसवालों ने उसे घेर लिया और उसकी पीठ एवं चेहरे पर बार-बार वार करते हुए उसे झुकने पर मजबूर कर दिया।
बाद में मेडिकल जांच से पुष्टि हुई कि हमले के कारण सुजीत के एक कान की सुनने की क्षमता कम हो गई है। पुलिस ने अपराध दर्ज करने के बजाय, सुजीत पर नशे में उत्पात मचाने, ड्यूटी में बाधा डालने और पुलिसवालों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए एक झूठी एफआईआर दर्ज कर दी।
बाद में, चावक्कड़ मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा किए गए मेडिकल टेस्ट से यह साबित हो गया कि उसने शराब नहीं पी थी।
अदालत ने उन्हें जमानत दे दी, लेकिन सुजीत को अपनी बेगुनाही साबित करने और सीसीटीवी कैमरे के सबूत हासिल करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
चार पुलिसवालों के संभावित निलंबन की खबर पर उन्होंने कहा कि सिर्फ निलंबन ही काफी नहीं होगा।
सुजीत ने कहा, "मेरी पार्टी और मैंने आरोपी को सेवा से बर्खास्त करने की मांग की है। पांचवां अधिकारी, पुलिस ड्राइवर, भी था, जिसका तबादला दूसरे विभाग में कर दिया गया है। सभी पांचों को बर्खास्तगी और आपराधिक कार्यवाही का सामना करना चाहिए।"
विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने भी यही मांग दोहराई और कहा कि बर्खास्तगी ही एकमात्र उचित कार्रवाई है। उन्होंने चेतावनी दी, "यह हमला केवल सीसीटीवी निगरानी वाले इलाकों तक सीमित नहीं था। सुजीत को अन्य स्थानों पर भी पीटा गया। अपनी निगरानी में इस जघन्य कृत्य के बावजूद, मुख्यमंत्री चुप हैं। यदि वह कार्रवाई करने से इनकार करते हैं, तो हम दिखा देंगे कि हम कैसे जवाब देंगे।"