क्या प्रेम प्रकाश की किताब 'हिस्ट्री दैट इंडिया इग्नोर्ड' आजादी के संघर्ष को नई दृष्टि से देखाती है?

Click to start listening
क्या प्रेम प्रकाश की किताब 'हिस्ट्री दैट इंडिया इग्नोर्ड' आजादी के संघर्ष को नई दृष्टि से देखाती है?

सारांश

प्रेम प्रकाश की नई पुस्तक 'हिस्ट्री दैट इंडिया इग्नोर्ड' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक नई परिभाषा प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक न केवल महात्मा गांधी की भूमिका पर सवाल उठाती है, बल्कि उन अनाम नायकों की कहानियों को भी उजागर करती है जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

Key Takeaways

  • प्रेम प्रकाश की पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम को नई दृष्टि से देखाती है।
  • महात्मा गांधी की भूमिका पर प्रश्न उठाए गए हैं।
  • अनाम क्रांतिकारियों की कहानियाँ उजागर की गई हैं।
  • पुस्तक में कई ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख है।
  • यह पुस्तक स्वतंत्रता के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से बताती है।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश द्वारा लिखी गई नई पुस्तक 'हिस्ट्री दैट इंडिया इग्नोर्ड' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर एक नई और तथ्यपरक दृष्टि प्रदान करती है। यह पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देती है और महात्मा गांधी की भूमिका पर स्थापित मान्यताओं को प्रश्न में डालती है।

इस पुस्तक का मुख्य संदेश स्पष्ट है कि इतिहास में केवल गांधी जी का नाम प्रमुखता से लिया गया, जबकि हजारों युवाओं ने भी स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, जिन्हें भुला दिया गया।

70 से अधिक वर्षों के पत्रकारिता अनुभव वाले प्रेम प्रकाश ने भारत के कई ऐतिहासिक क्षणों को प्रत्यक्ष रूप से कवर किया है, जिनमें 1962 और 1965 के युद्ध भी शामिल हैं।

इस पुस्तक में उन्होंने सिकंदर के आक्रमण से लेकर मुस्लिम और ब्रिटिश हमलों तक भारत के संघर्षों की चर्चा की है और बताया है कि कैसे क्रांतिकारियों, राजाओं और मराठों के असंख्य विद्रोहों ने भारत की आजादी की नींव रखी।

इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रेम प्रकाश ने पुस्तक पर लेखक एवं स्तंभकार संजीव चोपड़ा और वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई के साथ संवाद किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

पुस्तक में भगत सिंह, वीर सावरकर, खुदीराम बोस, मदान लाल ढींगरा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों के योगदान को पुनः प्रतिष्ठित किया गया है, जिनके नाम या तो भुला दिए गए या मुख्यधारा के इतिहास में हाशिए पर डाल दिए गए।

फांसी, निर्वासन, भूख हड़तालों और जुझारू प्रतिरोध की कहानियों के माध्यम से यह पुस्तक ब्रिटिश दमन के बीच क्रांतिकारियों के अदम्य साहस और संकल्प को उजागर करती है।

प्रेम प्रकाश मानते हैं कि इतिहास को एकतरफा दिखाया गया है, “क्रांतिकारियों के सशस्त्र संघर्ष को इतिहासकारों ने जानबूझकर दबाया या नजरअंदाज किया। मेरी किताब उस विकृति को ठीक करने की एक कोशिश है।”

पुस्तक के अनुसार, 1947 में आजादी केवल अहिंसा और बातचीत से नहीं मिली, बल्कि आजाद हिंद फौज की बगावत, 1946 की नौसेना और वायुसेना विद्रोह और क्रांतिकारियों के बलिदानों ने भी निर्णायक भूमिका निभाई।

इतिहासकार जहां महात्मा गांधी और कांग्रेस को स्वतंत्रता का श्रेय देते हैं, वहीं पुस्तक में कहा गया है कि 1930 तक कांग्रेस की मांग सिर्फ 'डोमिनियन स्टेटस' की थी।

पूर्ण स्वराज तब ही कांग्रेस का लक्ष्य बना, जब भगत सिंह समेत तीन क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी जा रही थी और लाहौर में नेहरू ने कांग्रेस का झंडा फहराते हुए पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की।

Point of View

यह कहना महत्वपूर्ण है कि प्रेम प्रकाश की पुस्तक भारतीय इतिहास की उन अनकही कहानियों को उजागर करती है, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज किया गया है। यह पुस्तक न केवल महात्मा गांधी की भूमिका पर सवाल उठाती है, बल्कि उन सभी नायकों को मान्यता देती है जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

प्रेम प्रकाश की किताब 'हिस्ट्री दैट इंडिया इग्नोर्ड' किस विषय पर है?
यह पुस्तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर एक नई दृष्टि प्रस्तुत करती है और महात्मा गांधी की भूमिका पर सवाल उठाती है।
इस पुस्तक में किन क्रांतिकारियों का उल्लेख किया गया है?
पुस्तक में भगत सिंह, वीर सावरकर, खुदीराम बोस, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों का उल्लेख है।
क्या इस पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम के अन्य पहलुओं पर चर्चा की गई है?
हां, पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि क्रांतिकारियों की कहानियों और उनके बलिदानों पर चर्चा की गई है।
प्रेम प्रकाश का पत्रकारिता अनुभव क्या है?
प्रेम प्रकाश के पास 70 से अधिक वर्षों का पत्रकारिता अनुभव है।
क्या इस पुस्तक में महात्मा गांधी के योगदान को नजरअंदाज किया गया है?
पुस्तक गांधी जी के योगदान पर सवाल उठाती है और अन्य नायकों के योगदान को भी उजागर करती है।