क्या भारत खाद्यान्न भंडारण क्षमता का विस्तार कर रहा है?

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क्या भारत खाद्यान्न भंडारण क्षमता का विस्तार कर रहा है?

सारांश

भारत अपने खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भंडारण क्षमता का विस्तार कर रहा है। यह कदम किसानों को सशक्त करने और फसल कटाई के बाद होने वाली बर्बादी को कम करने के लिए उठाया जा रहा है। जानें इस प्रक्रिया में क्या-क्या शामिल है।

Key Takeaways

  • भारत की खाद्यान्न भंडारण क्षमता में वृद्धि हो रही है।
  • सरकारी योजनाएं किसानों को सशक्त बना रही हैं।
  • फसल बर्बादी को कम करने के लिए कोल्ड स्टोरेज का उपयोग हो रहा है।
  • पीएसीएस का विकास हो रहा है।
  • कृषि बुनियादी ढांचे में नवीनता आ रही है।

नई दिल्ली, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत अपने रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ भंडारण क्षमता में भी तेजी से वृद्धि कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य फसल कटाई के बाद होने वाली बर्बादी को कम करना और किसानों को सशक्त बनाना है।

रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों के पास वर्तमान में केंद्रीय अनाज पूल के लिए 917.83 लाख मीट्रिक टन कवर्ड और सीएपी भंडारण क्षमता है, जबकि देश भर में जल्दी खराब होने वाले खाद्यान्नों को संरक्षित करने के लिए 40.21 मिलियन मीट्रिक टन क्षमता वाले 8,815 कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध हैं।

इसके अतिरिक्त, विकेन्द्रीकृत भंडारण का भी विस्तार हो रहा है और जून तक 5,937 नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस) पंजीकृत हो चुकी हैं और 73,492 को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है।

पीएसीएस के संचालन में सुधार लाने के लिए, सरकार ने 2,516 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ परिचालन पीएसीएस को कम्प्यूटरीकृत करने की एक परियोजना को मंजूरी दी है, जिससे पारदर्शिता, रिकॉर्ड-कीपिंग और दक्षता में वृद्धि होगी।

भारत की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन, बर्बादी को कम करने और किसान व उपभोक्ता दोनों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए भंडारण इन्फ्रास्ट्रक्चर अत्यंत महत्वपूर्ण है। उचित भंडारण, जैसे कि कोल्ड स्टोरेज और आधुनिक गोदाम, कृषि उपज की बर्बादी को काफी हद तक कम करता है।

सरकारी योजनाएं जैसे कि एग्रीकल्चर इन्फ्रस्ट्रक्चर फंड (एआईएफ), एग्रीकल्चर मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (एएमआई), प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई), और विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना भंडारण, प्रसंस्करण और किसानों की आय सुरक्षा को मजबूत कर रही हैं।

इसके अलावा, सरकार ने मई 2023 में 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप, सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी थी।

इस योजना में सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से पीएसीएस स्तर पर गोदामों, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयों और उचित मूल्य की दुकानों सहित कृषि बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है।

Point of View

मैं मानता हूँ कि भारत का यह प्रयास न केवल किसानों के लिए बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भंडारण की क्षमता में वृद्धि से उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि फसल बर्बादी को कम किया जा सके। यह कदम भारत के कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेगा।
NationPress
28/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत की खाद्यान्न भंडारण क्षमता क्या है?
भारत की खाद्यान्न भंडारण क्षमता वर्तमान में 917.83 लाख मीट्रिक टन है।
सरकार ने भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए कौन सी योजनाएं चलाई हैं?
सरकार ने एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना और अन्य योजनाएं चलाई हैं।
पीएसीएस का क्या महत्व है?
पीएसीएस किसानों को सशक्त बनाने और भंडारण में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कोल्ड स्टोरेज का क्या लाभ है?
कोल्ड स्टोरेज जल्दी खराब होने वाले खाद्यान्नों की बर्बादी को कम करता है।
भारत में भंडारण के लिए कौन सी नई परियोजनाएं शुरू की गई हैं?
सरकार ने 2,516 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ नई परियोजनाएं शुरू की हैं।