क्या भारत, रूस के साथ एल्युमीनियम, उर्वरक, रेलवे और खनन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने जा रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और रूस के बीच एल्युमीनियम, उर्वरक, रेलवे और खनन में सहयोग बढ़ेगा।
- साझेदारी के तहत नए तकनीकी विकास पर ध्यान दिया जाएगा।
- लगभग 80 प्रतिनिधियों ने इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया।
- आधुनिकीकरण और औद्योगिक सहयोग पर जोर दिया जाएगा।
- इस सहयोग से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत और रूस ने एल्युमीनियम, उर्वरक, रेलवे और खनन तकनीक में सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे उनकी रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम मिला है।
आधुनिकीकरण और औद्योगिक सहयोग पर भारत-रूस के कार्यकारी समूह के 11वें सत्र में दोनों पक्षों ने एल्युमीनियम, उर्वरक और रेलवे परिवहन के क्षेत्र में साझेदारी का स्वागत किया। इसके साथ ही, खनन क्षेत्र में उपकरण, अन्वेषण और औद्योगिक एवं घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन में क्षमता निर्माण और तकनीकी हस्तांतरण पर भी सहमति बनी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस इंटरगवर्नमेंटल कमीशन के ढांचे में आयोजित की गई थी।
इस सत्र की सह-अध्यक्षता उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया और रूसी संघ के उद्योग एवं व्यापार उप मंत्री एलेक्सी ग्रुजदेव ने की।
बैठक में 10वें सत्र के बाद की प्रगति की समीक्षा की गई और प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया।
चर्चा में आधुनिकीकरण, खनन, उर्वरक और रेलवे परिवहन के साथ-साथ सहयोग के उभरते क्षेत्रों पर उप-समूहों द्वारा अपडेट की गई जानकारी शामिल थी।
मुख्य फोकस क्षेत्रों में एयरोस्पेस विज्ञान और तकनीक में सहयोग शामिल हैं, जिसमें एक आधुनिक विंड टनल की स्थापना, छोटे विमान पिस्टन इंजनों का उत्पादन, और कार्बन फाइबर तकनीक, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग और 3डी प्रिंटिंग में संयुक्त विकास करने की योजना है।
दोनों पक्षों ने रेयर अर्थ और क्रिटिकल मिनरल की निकासी, भूमिगत कोयला गैसीकरण और आधुनिक औद्योगिक ढांचे के निर्माण में अवसरों की भी संभावनाओं की चर्चा की।
बैठक का समापन दोनों सह-अध्यक्षों द्वारा 11वें सत्र के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर के साथ हुआ, जिसमें भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी और औद्योगिक एवं आर्थिक सहयोग को गहरा करने की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि इस सत्र में दोनों पक्षों के लगभग 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, क्षेत्र विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल थे।