क्या भारतीय रेलवे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है, ताकि एक लाख टिकट प्रति मिनट संभाल सके?

सारांश
Key Takeaways
- एक लाख टिकट प्रति मिनट बुकिंग क्षमता
- पारंपरिक से क्लाउड टेक्नोलॉजी में अपग्रेड
- एडवांस रिजर्वेशन पीरियड 60 दिन होगा
- नया 'रेलवन' ऐप यात्रियों को सहायता करेगा
- गैर-एसी डिब्बों का प्रतिशत 70% तक बढ़ा
नई दिल्ली, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रेलवे अपने मौजूदा पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम की क्षमता को अपग्रेड कर रहा है, जिससे यह एक लाख टिकट प्रति मिनट संभालने में सक्षम होगा, जबकि वर्तमान में यह 25,000 टिकट प्रति मिनट ही संभाल पाता है। यह जानकारी सरकार ने साझा की है।
भारतीय रेलवे, सेंट्रल फॉर रेलवे इन्फॉरमेशन सिस्टम्स (क्रिस) के माध्यम से पीआरएस का पूर्ण पुनर्गठन कर रहा है। इसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क उपकरण और सिक्योरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड और प्रतिस्थापित किया जाएगा, जो नए फीचर्स को संभालने के लिए डिजाइन किए गए हैं और नवीनतम तकनीक पर आधारित हैं।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में जानकारी दी कि वर्तमान पीआरएस सिस्टम 2010 में लागू किया गया था और यह इटेनियम सर्वर और ओपन वीएमएस (वर्चुअल मेमोरी सिस्टम) पर कार्यरत है। इसलिए इसे पारंपरिक टेक्नोलॉजी से लेटेस्ट क्लाउड टेक्नोलॉजी में अपग्रेड करने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले कुछ वर्षों में यात्रियों की प्राथमिकताएं और आकांक्षाएं बदल गई हैं। आधुनिक पीआरएस का लक्ष्य यात्रियों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करना है।
ट्रेनों में 1 नवंबर, 2024 से रिजर्वड टिकटों की बुकिंग के लिए एडवांस रिजर्वेंशन पीरियड (एआरपी) को घटाकर 60 दिन कर दिया गया है, जो पहले 120 दिनों का था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बदलाव बुकिंग के चलन को ध्यान में रखते हुए और अप्रत्याशित घटनाओं के कारण रद्दीकरण को कम करने के लिए किया गया है।
रेलवे ने हाल ही में 'रेलवन' ऐप लॉन्च किया है। यह ऐप यात्रियों को मोबाइल फोन पर रिजर्वड और अनरिजर्वड दोनों प्रकार की टिकट बुक करने की सुविधा प्रदान करता है।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, "बुकिंग के रुझान और फीडबैक के आधार पर एडवांस रिजर्वेंशन पीरियड (एआरपी) में बदलाव एक सतत प्रक्रिया है। वर्तमान पीआरएस प्रति मिनट लगभग 25,000 टिकट बुक कर सकता है और नई प्रणाली इस क्षमता से चार गुना अधिक क्षमता के लिए डिजाइन की गई है।"
इसके अतिरिक्त, भारतीय रेलवे द्वारा संचालित ट्रेनों में गैर-एसी डिब्बों का प्रतिशत बढ़कर लगभग 70 प्रतिशत हो गया है और अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त 17,000 गैर-एसी सामान्य और शयनयान डिब्बों के उत्पादन के लिए एक स्पेशल मैन्युफैक्चरिंग कार्यक्रम लागू किया जा रहा है।
भारतीय रेलवे ने सामान्य श्रेणी में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए सुविधाओं में काफी वृद्धि की है। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान, विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों में 1,250 सामान्य डिब्बों का उपयोग किया गया है।