क्या पाकिस्तान बांग्लादेश से सैन्य गठजोड़ मजबूत कर रहा है, पूर्वोत्तर भारत पर खतरा?
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सैन्य सहयोग बढ़ रहा है।
- आईएसआई और डीजीएफआई का संयुक्त तंत्र स्थापित किया गया है।
- यह स्थिति भारत के लिए सुरक्षा खतरा बन सकती है।
- पूर्वोत्तर भारत पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- बांग्लादेश में आईएसआई की उपस्थिति बढ़ी है।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश अब आईएसआई के लिए एक नया अड्डा बन चुका है। हाल के दिनों में पाकिस्तान और उसके सहयोगी आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां बांग्लादेश में तेजी से बढ़ी हैं। मुहम्मद यूनुस के पदभार ग्रहण करने के बाद, पाकिस्तानी अधिकारी लगातार बांग्लादेश की यात्राएं कर रहे हैं। भारत में पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेएससी) के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की चार दिवसीय बांग्लादेश यात्रा पर कड़ी नज़र रखी गई है।
अपनी यात्रा के दौरान, साहिर शमशाद मिर्जा ने मुहम्मद यूनुस से भेंट की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने देश के सैन्य नेतृत्व के साथ कई महत्वपूर्ण बैठकें कीं।
इन बैठकों से यह स्पष्ट हुआ है कि बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग और भी गहरा होता जा रहा है। उल्लेखनीय बात यह है कि इस बैठक में आईएसआई का एक कमांडर भी उपस्थित था।
अधिकारियों के अनुसार, आईएसआई अधिकारियों को आमंत्रित करने का उद्देश्य यह था कि दोनों देश डीजीएफआई के साथ खुफिया जानकारी साझा कर सकें। डीजीएफआई और आईएसआई मिलकर कार्य करेंगे और इसके लिए एक संयुक्त खुफिया तंत्र स्थापित किया गया है।
एक अन्य अधिकारी का कहना है कि इस घटनाक्रम के कारण भारत को हाईअलर्ट रहना होगा। आईएसआई और डीजीएफआई का यह संयुक्त तंत्र बंगाल की खाड़ी की निगरानी पर केंद्रित रहेगा। यह भारत के पूर्वी तट के हवाई क्षेत्र पर भी कड़ी निगरानी रखेगा।
एक और महत्वपूर्ण घटना ढाका स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में एक विशेष आईएसआई सेल की स्थापना है। यह सेल आईएसआई, डीजीएफआई और बांग्लादेश की राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया एजेंसी के बीच सहयोग सुनिश्चित करेगा।
एक खुफिया ब्यूरो अधिकारी के अनुसार, इस सेल का उद्देश्य केवल दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना नहीं है। दोनों का भारत में एक साझा दुश्मन है, और उनकी एजेंसियां हमारे हितों के विरुद्ध काम करेंगी।
बता दें, शेख हसीना के शासनकाल में आईएसआई की उपस्थिति बहुत कम थी। यूनुस के शासनकाल में इसकी उपस्थिति बढ़ी है, लेकिन चिंता की बात यह है कि अब यह आधिकारिक हो गई है। इसका अर्थ यह है कि उनकी गतिविधियां बिना किसी जांच के चलती रहेंगी।
एक अन्य अधिकारी ने बांग्लादेश की स्थिति की तुलना करते हुए श्रीलंका का उदाहरण दिया। श्रीलंका स्थित उच्चायोग में आईएसआई के अधिकारी मौजूद हैं। उन्होंने दक्षिण भारत में लोगों की घुसपैठ कराने की एक बड़ी साजिश रची थी। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस साजिश का भंडाफोड़ किया, जिसमें न केवल दक्षिण भारत में मॉड्यूल स्थापित करना शामिल था, बल्कि कई हमलों को अंजाम देना भी शामिल था।
बांग्लादेश में भी इसी प्रकार की गतिविधियां होंगी, लेकिन मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पाकिस्तान ने बांग्लादेश को तकनीकी और सैन्य मोर्चे पर सहायता की पेशकश की है। इसमें पैदल सेना, तोपखाने प्रणालियों की आपूर्ति, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और संयुक्त नौसेना तथा वायु सेना अभ्यास शामिल होंगे।
एक सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि हसीना सरकार के पतन के बाद से पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच यह नजदीकी सौ गुना बढ़ गई है।
यह निस्संदेह नई दिल्ली के लिए चिंता का एक बड़ा कारण है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि भारत और उसके सशस्त्र बल इस नए संबंध के कारण किसी भी खतरे से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं, फिर भी यह चिंता का विषय बना रहेगा, क्योंकि अधिकारी अपनी सतर्कता में ढील नहीं दे सकते।