क्या एनजीटी ने दिल्ली के साकेत में जंगल पर 'अतिक्रमण' को लेकर नई इंस्पेक्शन रिपोर्ट मांगी?

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क्या एनजीटी ने दिल्ली के साकेत में जंगल पर 'अतिक्रमण' को लेकर नई इंस्पेक्शन रिपोर्ट मांगी?

सारांश

दिल्ली के साकेत में जंगल पर अतिक्रमण के मुद्दे पर एनजीटी ने नई रिपोर्ट की मांग की है। इसके अंतर्गत प्रेस एन्क्लेव और साकेत स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बीच की भूमि की स्थिति की नई जांच की जाएगी। यह मामला तब सामने आया जब 500 झुग्गियों के निर्माण का आरोप लगा।

Key Takeaways

  • एनजीटी ने जंगल पर अतिक्रमण की नई जांच मांगी है।
  • साकेत में छह हेक्टेयर जंगल की भूमि पर 500 झुग्गियां बनी हैं।
  • प्रेस एन्क्लेव और साकेत स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बीच की भूमि की स्थिति की जानकारी मांगी गई है।
  • इस मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च 2026 को होगी।
  • डीडीए ने अवैध निर्माण की जानकारी प्रदान की है।

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दक्षिण दिल्ली के प्रेस एन्क्लेव और साकेत स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बीच स्थित लगभग छह हेक्टेयर जंगल की भूमि पर कथित अतिक्रमण की पुनः जांच के लिए एक नई रिपोर्ट मांगी है।

बेंच की अध्यक्षता कर रहे चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि अब तक प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में जंगल जमीन की स्थिति को स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है।

एनजीटी ने कहा, "प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में प्रेस एन्क्लेव और साकेत स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बीच जंगल की भूमि की स्थिति का खुलासा नहीं होता है। नई जांच के लिए चार हफ्तों का समय दिया गया है।"

एक रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किए गए मामले पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि साकेत जंगल क्षेत्र में लगभग 500 झुग्गियां निर्माण कर ली गई हैं, जिससे लगभग छह हेक्टेयर भूमि पर कब्जा हो गया है।

एनजीटी ने बताया कि पहले जवाब देने वाले यह नहीं बता पाए कि क्या प्रेस एन्क्लेव और साकेत स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बीच की छह हेक्टेयर भूमि वास्तव में जंगल की भूमि थी या नहीं। उन्होंने निर्देश दिया कि नई रिपोर्ट में 'जांचे गए खसरा नंबरों की पूरी जानकारी' शामिल होनी चाहिए।

इस मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च 2026 को होगी। सितंबर में इस वर्ष, ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर ध्यान दिया था, जिसमें कहा गया था कि यह भूमि दिल्ली विकास अधिनियम के तहत 1979 में जारी एक नोटिफिकेशन के तहत 'पैकेज डील' के हिस्से के रूप में हस्तांतरित की गई थी।

डीडीए ने यह भी बताया कि साइट पर अवैध निर्माण मौजूद हैं, जिनमें एक कब्रिस्तान, अस्थायी शेड, कबाड़ी वालों का कब्जा और 'कुछ झुग्गियां' शामिल हैं।

डीडीए ने एनजीटी को साकेत जिला अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट में इस क्षेत्र से जुड़े पेंडिंग मुकदमों की जानकारी भी दी थी, जिसमें एक ऐसा मामला भी शामिल था जिसमें 2015 में तोड़फोड़ पर रोक लगाई गई थी। जस्टिस श्रीवास्तव की बेंच ने तब डीडीए को उन मामलों की नवीन स्थिति को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था।

Point of View

यह स्पष्ट है कि दिल्ली में प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है। एनजीटी का हस्तक्षेप इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास और पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जाए।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

एनजीटी क्या है?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) एक विशेष न्यायालय है जो पर्यावरण से संबंधित मामलों की सुनवाई करता है।
इस मामले में अगली सुनवाई कब होगी?
इस मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च 2026 को होगी।
अतिक्रमण का क्या मतलब है?
अतिक्रमण का मतलब किसी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करना है।
क्या एनजीटी ने पहले भी इस पर कोई कार्रवाई की है?
हाँ, एनजीटी ने पहले भी इस मामले में जानकारी मांगी थी और अब नई रिपोर्ट की मांग की है।
कितनी झुग्गियां इस जंगल क्षेत्र में बनी हैं?
लगभग 500 झुग्गियां इस जंगल क्षेत्र में बन गई हैं।
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