क्या सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी की जमानत शर्तों में ढील दी?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी की जमानत शर्तों में ढील दी?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने वी सेंथिल बालाजी की जमानत शर्तों में ढील दी है। इस फैसले ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री को राहत प्रदान की है, जो कैश-फॉर-जॉब्स मामले में जमानत पर हैं। जानिए इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में और क्या हैं इसके प्रभाव।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने वी सेंथिल बालाजी की जमानत शर्तों में ढील दी।
  • ईडी के समक्ष अनिवार्य पेशी की शर्त में संशोधन।
  • जमानत शर्तों में बदलाव से राहत मिली है।
  • बालाजी को 116 बार ईडी के समक्ष पेश होना पड़ा।
  • मामला कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले से संबंधित है।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी द्वारा दायर उस याचिका को मंजूरी दी, जिसमें उन्होंने कथित कैश-फॉर-जॉब्स (नौकरी के बदले पैसे) घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगाई गई सख्त जमानत शर्तों में राहत की मांग की थी।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने बालाजी को हर सोमवार और शुक्रवार सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक चेन्नई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्टी डायरेक्टर के समक्ष अनिवार्य रूप से पेश होने की शर्त में संशोधन किया। अदालत ने कहा कि इस चरण में सप्ताह में दो बार ईडी के सामने पेश होना आवश्यक नहीं है।

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची ने निर्देश दिया, “अपीलकर्ता (बालाजी) आवश्यक होने पर ही डिप्टी डायरेक्टर के समक्ष पेश होंगे। यदि उनकी उपस्थिति जरूरी हो तो अग्रिम सूचना दी जाएगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य शर्त में भी छूट दी, जिसके तहत बालाजी को निर्धारित अपराधों की सुनवाई करने वाली सभी अदालतों के समक्ष नियमित और समय पर उपस्थित होना अनिवार्य था।

अदालत ने स्पष्ट किया, “यदि किसी विशेष परिस्थिति में अपीलकर्ता के लिए सत्र न्यायालय में उपस्थित होना संभव न हो, तो वह आवश्यक आवेदन दायर करें, जिसे अदालत अपने विवेक से विचार करेगी।”

इससे पहले 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से बालाजी की इन्हीं शर्तों में ढील देने वाली याचिका पर जवाब मांगा था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और नरेंद्र हुड्डा ने दलील दी थी कि जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दायर हो चुकी है, इसलिए सख्त शर्तों की अब कोई उपयोगिता नहीं है।

सिब्बल ने अदालत को बताया था, “मेरे मुवक्किल 116 बार ईडी के समक्ष पेश हो चुके हैं। उनके फरार होने की कोई आशंका नहीं है।”

हालांकि, ईडी ने राहत का विरोध करते हुए कहा था कि जिस पीठ (न्यायमूर्ति अभय एस. ओका द्वारा नेतृत्व) ने बालाजी को जमानत दी थी, वह लगाई गई शर्तों के महत्व को पूरी तरह समझती थी।

इस वर्ष अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली कैबिनेट में पुनः शामिल किए गए बालाजी गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों के बीच मंत्री पद पर बने नहीं रह सकते। अदालत ने कहा था, “हम उन्हें विकल्प दे रहे हैं, स्वतंत्रता या पद?”

मुख्यमंत्री की सिफारिश के आधार पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने बालाजी का इस्तीफा स्वीकार किया था। ईडी ने जून 2023 में चेन्नई, करूर और कोयंबटूर में हुई व्यापक छापेमारी के बाद बालाजी को गिरफ्तार किया था। 450 दिन हिरासत में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली थी।

Point of View

यह भी दर्शाता है कि न्यायालय ने नागरिकों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय लिए हैं।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी की जमानत में क्या ढील दी?
सुप्रीम कोर्ट ने बालाजी को हर सप्ताह ईडी के समक्ष अनिवार्य रूप से पेश होने की शर्त में ढील दी है।
क्या यह मामला गंभीर है?
यह मामला कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले से जुड़ा है, जो गंभीर मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है।
बालाजी को कब गिरफ्तार किया गया था?
बालाजी को जून 2023 में ईडी की छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था।
क्या बालाजी को फिर से मंत्री पद पर वापस लाया जा सकता है?
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों के बीच यह संभव नहीं है।
क्या बालाजी को राहत मिलेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उनकी जमानत शर्तों में ढील दी है, यह राहत का संकेत है।
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