क्या अमेरिकी अधिकारियों का भारत दौरा क्षेत्रीय सुरक्षा में बदलाव लाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- अवर सचिव एलिसन हुकर का दौरा भारत-यूएस संबंधों को मजबूत करेगा।
- बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर चर्चा होगी।
- भारत और अमेरिका के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सहयोग बढ़ेगा।
- बेंगलुरु में इसरो का दौरा होगा।
- दौरे का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक में सहयोग बढ़ाना है।
वॉशिंगटन, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राजनीतिक मामलों की अवर सचिव एलिसन हुकर ने भारत का आधिकारिक दौरा आरंभ कर दिया है। सोमवार से उनकी यात्रा शुरू हो गई है। इस दौरान वे भारत के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और इंडो-पैसिफिक में साझेदारी पर चर्चा करेंगी। इस बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ विदेश कार्यालय परामर्श (एफओसी) भी शामिल है।
भारत में अमेरिकी दूतावास ने बताया कि हुकर का यह दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी और स्वतंत्रता के साथ खुले इंडो-पैसिफिक के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में सहायक होगा।
अमेरिकी दूतावास के एक बयान में कहा गया, "हमें अवर सचिव एलिसन हुकर का भारत में स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। जैसे-जैसे हम अपनी आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक मुद्दों पर अमेरिका-भारत के रिश्तों को बढ़ावा दे रहे हैं, अवर सचिव का यह दौरा एक मजबूत अमेरिका-भारत साझेदारी और एक स्वतंत्र एवं खुले इंडो-पैसिफिक के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मददगार होगा।"
भारत में अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी बयान के अनुसार, नई दिल्ली के साथ-साथ, एलिसन हुकर बेंगलुरु भी जाएंगी। वहां वह इसरो का दौरा करेंगी और अमेरिका-भारत रिसर्च पार्टनरशिप में इन्वोवेशन को बढ़ावा देने हेतु भारतीय अंतरिक्ष, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों के नेताओं से भेंट करेंगी।
इससे पहले अमेरिकी दूतावास ने कहा था, "अवर सचिव हुकर का दौरा अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने, आर्थिक और व्यावसायिक संबंधों को गहरा करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे उभरते तकनीक में सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगा।"
बयान में कहा गया है कि हुकर का दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी और स्वतंत्र एवं खुले इंडो-पैसिफिक के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे पहले, 3 दिसंबर को भारत और अमेरिका ने आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए भारत-यूएसए संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की 21वीं बैठक एवं 7वां पदनाम संवाद आयोजित किया।
भारत के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (आतंकवाद-निरोधक) डॉ. विनोद बहाडे और संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग में आतंकवाद निरोधक ब्यूरो की वरिष्ठ अधिकारी मोनिका जैकब्स ने अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
बैठकों में आतंकवाद का मुकाबला करने में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया, जो भारत-अमेरिका के व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की भावना और विस्तार को दर्शाता है। दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवाद सहित सभी प्रकार के आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम विस्फोट की कड़ी निंदा की। बैठक में इस विषय पर जोर दिया गया कि आतंकवाद के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।