क्या विश्व हिंदू परिषद की अपील से हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ एकजुटता बढ़ेगी?
सारांश
Key Takeaways
- आलोक कुमार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई।
- हिंदुओं की एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- बांग्लादेश में हुई घटनाएँ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों से जुड़ी हैं।
- भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाले बयानों पर चिंता जताई गई।
- विश्व हिंदू परिषद का विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया गया।
मुंबई, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हिंसा और अन्य धर्मों की स्थिति को लेकर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हो रही घटनाएँ केवल किसी एक देश का आंतरिक मामला नहीं हैं, बल्कि यह मानव जीवन, आस्था और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों से जुड़ी समस्या है।
आलोक कुमार ने न्यूज़ एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हाल के समय में पूरी दुनिया को एक बड़ी चुनौती दी गई है। उन्होंने 'दीपू' नामक युवक की हत्या का जिक्र करते हुए बताया कि उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उसकी हत्या कर दी गई और उसके शव को सार्वजनिक रूप से जला दिया गया।
उन्होंने बताया कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि दीपू की कथित ईशनिंदा केवल इस बात पर थी कि उसने कहा था कि सभी धर्म एक समान हैं और एक ही मार्ग की ओर ले जाते हैं। इस कथन को इस्लाम का अपमान मान लिया गया।
उन्होंने प्रश्न उठाया कि यदि सभी धर्मों को समान मानना एक अपराध है, तो क्या भारत जैसे देश के सेक्युलरिज्म की बुनियाद सुरक्षित रहेगी? यदि किसी एक धर्म की श्रेष्ठता को मानने की शर्त रखी जाएगी, तो हिंदू, ईसाई या अन्य धर्मों के अनुयायी उसे कैसे स्वीकार सकते हैं?
आलोक कुमार ने कहा कि जब यह सवाल उठाया गया, तो बांग्लादेश से यह बयान आया कि दीपू द्वारा ईशनिंदा का कोई प्रमाण नहीं है और यह आरोप मनगढ़ंत है। उन्होंने पूछा, "अगर कोई प्रमाण नहीं है, तो उसकी हत्या क्यों की गई?"
वीएचपी अध्यक्ष ने 'हादी' नामक व्यक्ति के जनाजे का उल्लेख किया, जिसमें बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस शामिल हुए और भाषण दिया। उस भाषण में मोहम्मद यूनुस ने कहा कि हादी हमारे दिलों में रहेगा, हम उसके मार्ग पर चलेंगे और पीढ़ियों तक लड़ते रहेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि हादी की कथित इच्छा उत्तर-पूर्व भारत, बंगाल और बिहार को बांग्लादेश की सीमाओं में शामिल करने से जुड़ी बताई जाती रही है।
आलोक कुमार ने कहा कि यदि ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, तो यह भारत की संप्रभुता और अखंडता को खुली चुनौती है।
उन्होंने चेतावनी दी कि बांग्लादेश को याद रखना चाहिए कि भारत एक सामर्थ्यवान देश है, जो अपनी रक्षा करना जानता है। भारत पर हमले करने वालों को अतीत में भी मुंह की खानी पड़ी है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस प्रकार के बयान देकर कौन सा संकट खड़ा किया जा रहा है और क्या यह सब आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
उन्होंने ऐलान किया कि विश्व हिंदू परिषद इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी। आने वाले दो दिनों में भारत के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। साथ ही, दुनिया भर में जहां-जहां हिंदू रहते हैं, उनसे अपील की जाएगी कि वे खड़े हों और अपनी-अपनी सरकारों से बांग्लादेश पर दबाव बनाने को कहें।
आलोक कुमार ने स्पष्ट कहा कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि यह इंसान की जान और आस्था से जुड़ा प्रश्न है। यदि इस मुद्दे पर निर्णायक संघर्ष होता है, तो भारत उसमें विजयी होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार जिस भी तरीके से इस चुनौती का सामना करने का निर्णय लेगी, विश्व हिंदू परिषद उसके साथ खड़ी रहेगी। सुरक्षा और खुफिया जानकारी सरकार के पास है और निर्णय लेने का अधिकार भी उसी का है। गाजा या अन्य मुद्दों पर आवाज उठाने वाले लोग, जब कश्मीर से हिंदुओं के पलायन या बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की बात आती है, तो मानवाधिकारों का हनन नहीं देखते।