क्या मुर्शिदाबाद में मस्जिद निर्माण को लेकर हुमायूं कबीर का बयान गलत है?
सारांश
Key Takeaways
- हुमायूं कबीर का विवादास्पद बयान।
- मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की आलोचना।
- कानून के दायरे में रहकर मस्जिद निर्माण की सलाह।
- सांप्रदायिक तनाव की संभावना।
- राजनीतिक लाभ के लिए ध्रुवीकरण की चेतावनी।
बरेली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर को मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के निर्माण का प्रस्ताव देने के लिए पार्टी से निलंबित किया गया है। उनकी इस बयानबाजी के चलते वह इस्लामिक विद्वानों और अन्य समुदायों से भारी आलोचना का सामना कर रहे हैं। इस संदर्भ में, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने सार्वजनिक रूप से हुमायूं कबीर की निंदा की और उन्हें चेतावनी दी कि वह राजनीतिक लाभ के लिए ध्रुवीकरण करने की कोशिश न करें।
हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक मस्जिद का शिलान्यास करने का वादा किया। यह दिन उस समय का है जब अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराया गया था, जबकि कानून और व्यवस्था के प्रभाव पर उठाई गई चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया।
हालांकि, हुमायूं कबीर के विवादित वादे की वजह से उन्हें पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी का गुस्सा झेलना पड़ा और अंततः उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हुमायूं कबीर के दंगा भड़काने के प्रयासों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हुमायूं मुर्शिदाबाद को अयोध्या बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान उन्हें मस्जिद बनाने की अनुमति देता है, परंतु इसे कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए।
मौलाना ने चेतावनी दी कि भड़काऊ भाषण और सांप्रदायिक माहौल बनाने की कोशिशों के कारण समुदायों के बीच मतभेद और गहरे हो जाएंगे, जिससे राज्य और देश में लंबे समय तक बंटवारा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल का पहले से ही गरम माहौल और खतरनाक हो जाएगा और मौकापरस्त लोग इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने एक सुझाव भी दिया कि मस्जिद बनाओ लेकिन उसका नाम बाबरी के नाम पर मत रखो।